नई दिल्ली। चिकित्सा के क्षेत्र में नीक-हकीम के कारोबार को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने चिंता जाहिर की और कहा कि वे लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। शीर्ष अदालत ने नीम-हकीम की दवाई से समाज को खतरा बताया है। शीर्ष अदालत ने केरल आयुर्वेद परंपरा वैद्य मंच की याचिका को खारिज कर दिया। मंच ने 2003 के केरल उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति मोहन एम शांतानागौदर की पीठ ने कहा कि भारी तादाद में अयोग्य, अप्रशिक्षित नीम-हकीम संपूर्ण समाज के लिए भारी खतरा पैदा कर रहे हैं।
पीठ ने कहा कि बगैर मान्यता और स्वीकृत योग्यता वाले लोग जिन्हें देसी दवाओं के बारे में अल्प ज्ञान हैं वे चिकित्सा क्षेत्र में पेशेवर बन रहे हैं और हजारों व लाखों लोगों की जान के साथ खेल रहे हैं।