सही समय से जांच होने पर संभव है इलाज, बच सकती है 63.8 प्रतिशत बच्चों की जान
लखनऊ। गर्भवती मां के लिए खून, पेशाब, पेट और ब्लड प्रेशर यानी 4 जांचें करना अतिआवश्यक है। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के किसी प्रकार के विकार को दूर किया जा सकता है और अति गंभीर स्थिति में मां की जान भी बचाई जा सकती है। सुरक्षित मातृत्व दिवस पर यह कहना है एसजीपीजीआई की डॉक्टर मंदाकनी प्रधान, विभाध्यक्ष, मातृत्व एवं प्रजनन स्वास्थ्य का।
महिलाओं के गर्भ की अधिकांश समस्याएं जांचों से पता की जा सकती हैं। गर्भधारण से लेकर अंत तक एक भी जांच नहीं कराने से नौवें महीने महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे बच्चे के बारे में कई जटिल समस्याएं अचानक पता चलती हैं। अगर समय से जांच करवा ली जाए तो अधिकांश समस्याओं को हल किया जा सकता है। सुरक्षित प्रसव मां की जिम्मेदारी है। साथ ही यह उसका अधिकार है। इसमें पूरे परिवार और समाज को सहयोग करना चाहिए।
डॉक्टर मंदाकनी प्रधान ने एक शोध रिपोर्ट साझा करते हुए बताया कि प्रसव के पहले 63.8 प्रतिशत नवजात की जान सिर्फ अच्छी देखभाल और सही समय से जांच कराने पर बचाई जा सकती है। यह शोध रिपोर्ट डॉक्टर मंदाकनी प्रधान के नेतृत्व में सितम्बर 2016 से मई 2016 के बीच किया गया। शोध के दौरान पीजीआई में आने वाली 51 महिलाओं को शामिल किया गया है। पीजीआई में इलाज कराने के लिए आने वाली 45.3 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं ने माना कि गर्भधारण के बाद स्थाई देखरेख के लिए किसी भी महिला चिकित्सक से मदद नहीं ली। वहीं 1.5 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं ने बताया कि देखरेख के लिए कभी कभार महिला चिकिक्सक से संपर्क किया। 53.12 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं ने माना कि वह गर्भाधारण के बाद महिला चिकित्सक से लगातार संपर्क में थी। शोध के दौरान यह भी पाया गया कि 53 प्रतिशत महिलाएं मध्यम आय वर्ग की हैं जबकि 47 प्रतिशत गरीब आय की श्रेणी में आती हैं।
सेवाओं का लाभ लें : सीएमओ
लखनऊ के सीएमओ एके अग्रवाल ने बताया कि संस्थागत प्रसव एक गंभीर मुद्दा है। प्रसव के दौरान खून की कमी, ब्लड प्रेशर जैसे कारणों से प्रदेश में प्रतिदिन 40 महिलाओं की मौत हो रही है। ऐसी परिस्थिति में गर्भवती महिलाओं को नियमित जांच करानी चाहिए। सरकार की ओर से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया रहा है। इसके तहत हर माह की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं की द्वितीय व तृतीय त्रिमासी में सरकारी अस्तपालों में जांच और उपचार किया जा रहा है। हर मरीज को सरकारी सेवाओं का लाभ उठाना चाहिए।
यह करें
महिलाएं गर्भाधारण के पश्चात यथाशीघ्र सरकारी अस्पताल में पंजीकरण कराएं।
कम से कम चार जांच सरकारी स्वास्थय केंद्र पर कराएं।
उचित पोषण, संतुलित आहार व आयरन फोलिक एसिड की गोली लें।
टिटनेस का टीका लगवाएं।
उच्च जोखिम मामलों में अपना इलाज बडण्े अस्पतालों में कराएं।
आर्थिक रूप से मजबूत होकर जन्म की तैयारी करें।
मोबाइल एंबुलेंस सेवा 102 की मदद लें।
प्रसव स्वास्थ्य इकाई पर ही कराएं।
प्रसव के बाद पीपीएच प्रबंधन, कौड केयर और जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराएं।
समय से शिशु का टीकाकरण कराएं।