लखनऊ। यूपीएचएसएसपी परियोजना के लगभग 5000 कर्मचारियों की सेवा समाप्ति 31 अक्टूबर 2019 को किए जाने के विरोध में संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ द्वारा चरणबद्ध आंदोलन का शुरुआत किया गया है जिसमें 1 नवंबर से सभी जिले में चिकित्सालय के मुख्य गेट पर सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक धरना प्रदर्शन किया गया है। इसके साथ ही सभी जिला अधिकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन दिया जाना भी सुनिश्चित है।
विधानसभा का करेंगे घेराव
संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल, प्रदेश मंत्री मनीष मिश्रा प्रदेश मीडिया प्रभारी सच्चिदानंद मिश्रा के नेतृत्व में 12 नवम्बर को प्रदेश से लगभग 10000 कर्मचारी इको गार्डन में एकत्रित होकर विधानसभा का घेराव करेंगे और इस बार जब तक कर्मचारियों को सुरक्षित नौकरी का फैसला शासन द्वारा नहीं लिया जाता तब तक आंदोलन समाप्त नहीं होगा और 12 नवंबर से पहले कोई भी कर्मचारी किसी भी अधिकारी के आश्वासन पर अस्पताल में कार्य नहीं करेगा क्योंकि अधिकारी आश्वासन देकर काम करा लेते हैं और टेंडर ना होने की दशा में कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलता। 1 नवंबर से 12 नवंबर तक सभी स्वास्थ्य कर्मी पूरी तरह से कार्य बहिष्कार एवं आंदोलन पर रहेंगे।
… तो आंदोलन समाप्त नहीं होगा
आज पहले दिन लगभग 50 जनपदों में कर्मचारियों ने ड्यूटी से हटाए जाने के विरोध में गेट पर धरना प्रदर्शन की शुरुआत कर दी है। संविदा कर्मचारी संघ द्वारा 12 नवंबर दिन मंगलवार को कैबिनेट बैठक के दिन ही लखनऊ के इको गार्डन में विशाल धरना प्रदर्शन किया जाएगा और सभी कर्मचारी इको गार्डन से विधानसभा के लिए कूच करेंगे। इस बार कर्मचारी पूरी तरह से सुरक्षित नौकरी के बाद ही आंदोलन से वापस लौटेंगे। एक-दो महीने का सेवा विस्तार अथवा किसी भी प्रकार के आश्वासन से संगठन अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेगा। मार्च 2019 से अब तक स्वास्थ्य विभाग से लगभग 10,000 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की सेवा समाप्ति की जा चुकी है।
धन उगाही की पूरी संभावना
चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कम दिनों के लिए टेंडर करवा कर एजेंसियों से धन उगाही का कार्य करते हैं। पूरे मामले से स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य, सभी अवगत हैं लेकिन 30 जून से अभी तक कोई भी फैसला नहीं आ पाया। पहले शासन द्वारा एजेंसियों का चयन करके भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया मामला उजागर होने पर अब जिले में सीएमओ एवं जिलाधिकारी को टेंडर करवाने की जिम्मेदारी दी गई है। इस नई व्यवस्था में पुराने कर्मचारियों को हटाने तथा नई नियुक्ति में धन उगाही की पूरी संभावना है।