लखनऊ। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट की बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन योजना आयुष्मान शुरू करने का फैसला लिया गया। योगी सरकार सरकारी व निजी अस्पतालों में गरीबों व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज कराएगी। इस योजना का प्रदेश के 6 करोड़ लोगों को फायदा होगा। यही नहीं मरीजों को भर्ती कराने व अन्य सहायता के लिए आयुष्मान मित्र रखे जाएंगे। राज्य सरकार इसके लिए केंद्र सरकार से एमओयू करेगी।
इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि सामाजिक आर्थिक एवं जातिगत जनगणना 2011 में चिह्नित परिवारों को योजना का लाभ दिया जाएगा। इसकी सूची पहले ही प्रकाशित की जा चुकी है। यदि कोई परिवार छूट गया है तो वह अपना नाम दर्ज करा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के स्थान पर इस योजना को शुरू किया जाएगा।
60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राज्य सरकार उठाएगी खर्च
उन्होंने बताया कि इस योजना में पात्र परिवार को पांच लाख रुपये तक हर साल मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी। मुफ्त इलाज के लिए सरकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व निजी अस्पतालों मरीजों भर्ती कराया जाएगा। इस योजना पर आने वाले खर्च का 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राज्य सरकार उठाएगी। प्रस्तावित योजना चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधीन उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य बीमा कल्याण समिति स्टेट एजेंसी फॉर कॉम्प्रीहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के माध्यम चलाया जाएगा।
बीमा कंपनियों का चयन ई टेंडर से
यही नहीं गरीबों को मुफ्त इलाज की सुविधा देने के लिए बीमा कंपनियों का चयन ई टेंडर के माध्यम से होगा। पात्र परिवारों को मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और निजी अस्पतालों को पहले से चिह्नित कर इसकी सूची जारी की जाएगी। मरीजों के इलाज पर आने वाला खर्च बीमा कंपनियां अस्पतालों को दावे के आधार पर करेंगी।
पकड़ी जाएगी गड़बड़ी
राज्य सरकार योजना को बेहतर ढंग से चलाने के लिए कुशल संचालन अनुश्रवण एवं निगरानी साफ्टवेयर तैयार कराया जाएगा। इस साफ्टवेयर के माध्यम से होने वाली गड़बडिय़ों को आसानी से पकड़ा जा सकेगा।
सोलर प्लांट लगाने का फैसला
राज्य सरकार ने बिजली की बढ़ती खपत को देखते हुए सभी सरकारी भवनों में सोलर प्लांट लगाने का फैसला किया है। स्वास्थ्य विभाग के भवनों में सबसे पहले इसे लगाया जाएगा।