लखनऊ। राजधानी की आबोहवा और भी खतरनाक हो गई है। प्रदूषण इतना भीषण है कि सूरज की किरणें बादलों के कारण जमीन को छू नहीं पा रही है। लखनऊवासियों का घरों से निकलना दूभर हो गया है। सोमवार को लखनऊ में एक्यूआई अब तक के सबसे खतरनाक स्तर 435 तक पहुंच गया, जो रविवार को 400 पर था।
चौथा पायदान
नतीजा यह रहा कि देश के सबसे प्रदूषित शहरों की रैंकिंग में लखनऊ ने लंबी छलांग लगाते हुए चौथा पायदान हासिल कर लिया। नौकरी के लिए निकले लोग जब घर पहुंचते तो आंखों में जलन और नाक में मैल की काली परत पाते। हालांकि हवाएं चलना शुरू हो गई है और मंगलवार को स्मॉग में कमी देखी गई। जिससे सड़कों पर विजिबिलिटी काफी हद तक बेहतर दिखी।
स्कूलों को एडवाजरी जारी
बढ़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स के स्तर को देखते हुए स्कूलों में फिलहाल छुट्टी तो नहीं लेकिन स्कूलों को स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जरूर जारी कर दी है। स्कूलों व कॉलेजों में प्रार्थना सभाओं और व्यायाम जैसी गतिविधियां, जो सुबह होती है, इनको न करने के लिए कहा गया है। साथ ही बताया जा रहा है कि यदि एक्यूआई और बढ़ा तो नोएडा-बुलंदशहर की तरह लखनऊ में भी स्कूल बंद किए जा सकते हैं।
अस्पतालों में बढ़े मरीज
बढ़ते प्रदूषण के कारण बच्चे के साथ-साथ बड़े व बुजुर्गों की भी सांस की दिक्कतों होने लगी है। लोहिया व अन्य अस्पतालों में सांस के मरीजों की तादाद भी बढ़ती नजर आई। रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के डा. दर्शन बजाज का कहना है कि बच्चों की तरह बड़े-बुजुर्ग की सांस की बीमारी की चपेट में आ गए है। ज्यादा मरीजों को सांस की नली में सूजन की बीमारी की शिकायत है, जिससे उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है। शरीर में ठीक आक्सीजेन नहीं पहुंच पा रहा हैं। हवा में बैक्टीरिया है जिससे निमोनिया होने की संभावनाएं ज्यादा हैं।