फेफड़ा हमारे शरीर का एक अहम अंग है। हमें इसे दुरुस्त रखना ही होगा। अगर इसमें संक्रमण हो गया तो हम गंभीर समस्या से पीडि़त हो सकते हैं। इस लेख में हम आपको टीबी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। आपको यह जानना भी जरूरी है कि टीबी सिर्फ फेफड़े में ही नहीं हो सकती बल्कि यह किसी भी अंग में हो सकता है। फेफड़ों के अलावा जिस अंग में टीबी होता है उसी अनुसार रोगी में लक्षण दिखाई देते हैं।
टीबी क्या है और कितने प्रकार का होता है?
टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु से होता है। इसके दो प्रकार हैं। पहला, पल्मोनरी टीबी (फेफड़े संक्रमित होते) व दूसरा, एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी (फेफड़ों के बजाय शरीर के अन्य अंगों पर असर व उसी अनुसार लक्षण)।
ड्रग रेजिस्टेंस टीबी क्या है ?
इसमें रोग के इलाज में देरी और इलाज के दौरान नियमित दवाएं न लेने पर बैक्टीरिया में दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में दवाएं असरहीन हो जाती हैं। विभिन्न एंटीबायोटिक्स लेने से भी जीवाणुओं पर दवा का असर नहीं होता।
बीमारी के लक्षण क्या हैं ?
शारीरिक कमजोरी, थकान, दर्द, भूख न लगना व वजन में कमी, हल्का बुखार सामान्य लक्षण हैं। फेफड़ों के टीबी में सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, लगातार खांसी, इसके साथ बलगम व कभी कभार खून आता है। टीबी जिस अंग में होता है लक्षण उसी अनुसार आते हैं। जैसे रीढ़ की हड्डी में टीबी से कमरदर्द, किडनी की टीबी में यूरिन में रक्त आना, दिमाग की टीबी से टीबी का दौरा, मिर्गी, बेहोशी छाना और पेट की टीबी में पेटदर्द और दस्त।
किस तरह फैलता है यह रोग?
रोगी के खांसने, बात करने, छींकने या उसके द्वारा प्रयोग में ली गई वस्तुओं के संपर्क में आने से रोग फैलता है। फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को भी इसका खतरा रहता है। इलाज के रूप में दवाएं दी जाती हैं जिन्हें नियमित लेना होता है।