लखनऊ। अच्छी नींद हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। नींद पूरी ना होने पर हमारा स्वास्थ्य अधिक दिनों तक साथ नहीं दे सकता है। हमें शरीर को रिजार्च करने के लिए आठ घंटे की नींद लेना जरूरी है। उक्त जानकारी शुक्रवार को देश से ही नहीं विदेश से आये डॉक्टरों ने गोमतीनगर के एक होटल में कार्यक्रम के दौरान कही।
आकड़ों पर नजर डाली जाए तो भारत में प्रत्येक वर्ष होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 25 हजार मौतें नींद से जुड़ी बीमारियों के कारण होती हैं। 10 से 15 प्रतिशत ड्राइवर की नींद व थकान के कारण सड़क दुर्घटनाएं होती हैं।
आठ घंटे की नींद लेने की आदत डालें माता-पिता
साउथ-ईस्ट एशियन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन की चौथी कांफ्रेंस के मौके पर डॉक्टरों ने कहा कि माता-पिता की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को बचपन से ही आठ घंटे की नींद लेने की आदत डालें। बाल चिकित्सा आयु समूह में विभिन्न नींद की समस्याएं जैसे स्लीप एप्निया, (एनरियसिस निद्रा में मूत्र का निकल जाना), स्लीप टेरर आदि काफी आम हैं, लेकिन जागरुकता की कमी है। आयोजन के सचिव डॉ. बीपी सिंह ने बताया कि नींद के इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ज्ञान और शोध पर चर्चा होगी। 11 देशों के विशेषज्ञ चर्चा करेंगे।
यह है स्लीप एप्निया
एक सर्वे के मुताबिक भारत में 93 प्रतिशत लोगों को पूरी नींद नहीं मिल पाती है। सामान्य लोग और फिजीशियन भी अभी स्लीप एप्निया से अनभिज्ञ हैं। स्लिप एप्निया में तालू चिपक जाता है। सोते समय सांसें अटक जाती हैं और नींद टूट जाती है। नींद पूरी नहीं होने से शरीर को आराम नहीं मिल पाता है। लोगों में टांसिल बढऩे, नाक की हड्डी टेढ़ी, तालू बड़ा होना, जीभ बड़ी होने से सांसें अटक जाने से व्यक्ति की मौत का खतरा बढ़ जाता है। संतुलित आहार, शारीरिक श्रम व जंक फूड से दूरी बनाकर काफी हद तक इस बीमारी को बढऩे से रोका जा सकता है।
देर से लगता है बीमारी का पता
जैसे मशीन लगातार चलती रहेगी तो गरम हो जाएगी उसको आराम देने पर फिर से वो अच्छी तरह काम करती है। ठीक वैसे ही हमारा शरीर है जब वह थक जाएगा तो काम करना बंद कर देगा या बीमार हो जाएगा। नींद की बीमारी लम्बे अंतराल के बाद पता चलती है। दुनिया के अंदर भारत देश में नींद विकारों को कम समझा जाता है।