लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने शुक्रवार को सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार की वादा खिलाफी से प्रदेश के लाखों कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि अगर वेतन समिति की रिपोर्ट पर कैबिनेट से निर्णय नही हुआ तो प्रदेश के कर्मचारी और उनका परिवार लोकसभा चुनाव में वर्तमान पार्टी की सरकार के विरुद्ध अप्रिय निर्णय लेंने को बाध्य होंगे। हाल ही में छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों की नाराजगी वहां की सरकार को झेलनी पड़ी और उन्हें कड़ी हार का सामना करना पड़ा।
यह है मामला
9 अक्टूबर 2018 और 13 फरवरी 2019 को मुख्य सचिव द्वारा फार्मेसिस्ट, लैब टेक्नीशियन और ऑप्टोमेट्रिस्ट सहित अन्य संवर्गो के वेतन विसंगति तथा भत्तों के संबंध में वेतन समिति की रिपोर्ट को 30 दिन के अंदर कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत कर विसंगतियों को समाप्त करने का लिखित समझौता हुआ था, परन्तु समय सीमा से बहुत अधिक समय बीतने पर भी निर्णय ना होने और आचार संहिता की संभावित तिथि को देखते आज राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की हाई कमान और संवर्गों के प्रांतीय पदाधिकारियों की बैठक में कड़ा आक्रोश व्यक्त किया।
एक साल बाद भी कोई कदम नहीं उठाया
परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत की अध्यक्षता में शुक्रवार को बलरामपुर चिकित्सालय में परिषद की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक को संबोधित करते हुए महामंत्री अतुल मिश्र ने कहा कि वेतन समिति द्वारा वेतन विसंगति व भत्तों की रिपोर्ट तैयार कर 28 फरवरी 2018 को मुख्यमंत्री को सौंप दी गई थी। जिसपर मंत्रिपरिषद से अनुमोदनोपरांत उसका शासनादेश जारी होना था।
एक वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी सरकार ने कोई सकारात्मक कदम नही उठाया गया। परिषद द्वारा घोषित आंदोलन के पूर्व मुख्य सचिव द्वारा वार्ता आहूत की गई और उसमें परिषद की मांगों पर समयबद्ध निर्णय हुए जिसके उपरांत आंदोलन को स्थगित किया गया। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में मुख्य सचिव ही प्रदेश का मुखिया है और उसके लिये गये निर्णय को मुख्यमंत्री कोई तबज्जो नही दे रहे है। अधिकांश मांगों में कोई वित्तीय भार भी नही पडऩा है।
आश्वासन पर आंदोलन किया था स्थगित
परिषद के प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि समझौते और निर्णयों पर कार्रवाई ना करना सरकार की कर्मचारी विरोधी मानसिकता का परिचायक है। कर्मचारी हमेशा सरकार को सहयोग करते है, नीतियों को लागू कराते हैं लेकिन जायज मांगों पर कार्रवाई नहीं होती तो मजबूर होकर आंदोलन का रास्ता अख्तियार करते हैं। परिषद ने मुख्य सचिव के द्वारा लिए गए निर्णयों और उनके आश्वासन के सम्मान में आंदोलन को स्थगित किया था लेकिन समय सीमा समाप्त होने के बाद भी कार्रवाई लंबित है।
ये थे मौजूद
बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश मिश्र, सुनील यादव प्रमुख उपाध्यक्ष,राजकीय नर्सेज संघ के महामंत्री अशोक कुमार,सांख्यिकी सेवा संघ वन विभाग के अध्यक्ष डॉ पी के सिंह, गन्ना पर्यवेक्षक संघ के अध्यक्ष मनोज राय, समाज कल्याण मिनी के महामंत्री बी एन मिश्र, सिंचाई संघ के महामंत्री अवधेश मिश्रा, राजस्व अधिकारी संघ के अध्यक्ष विजय मिश्रा, आशीष पांडेय संयुक्त मंत्री परिषद, वाणिज्य कर मिनी संघ के महामंत्री जे पी मौर्या, लैब टेक्नीशियन एसो के महामंत्री बी बी सिंह, ऑप्टोमेट्रिस्ट एसो के अध्यक्ष सर्वेश पाटिल ,रविन्द्र यादव महामंत्री, कुष्ठ चिकित्सा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सतीश यादव, प्रयोगशाला सहायक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष एस के पाठक, एक्स-रे एसो के महामंत्री राम मनोहर कुशवाहा, फिजियोथेरेपी एसो के महामंत्री अनिल कुमार चौधरी, डेंटल एसो के अध्यक्ष राजीव तिवारी, सुभाष श्रीवास्तव, वीपी सिंह, सुनील कुमार, कमल श्रीवास्तव, जे पी नायक, अजय पांडेय आदि पदाधिकारी उपस्थित रहे।