लखनऊ। टीबी यानी क्षय रोग से घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इसका इलाज पूरी तरह से हो सकता है और पीडि़त व्यक्ति आम लोगों की तरह जीवनयापन कर सकता है। बस जरूरत है तो सिर्फ मजबूत इच्छा शक्ति और नियमित सरकारी दवा के सेवन की। यह कहना है दो साल के कड़े इलाज के बाद टीबी से उबर चुके ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के अधिकारी 26 वर्षीय विकास अग्रवाल का।
दो दिवसीय उत्तर प्रदेश टीबी चैम्पियंस मेंटरशिप प्रोग्राम
राजधानी के एक होटल में रीच (रिसोर्स ग्रुप फॉर एजूकेशन एंड एडवोकेसी फॉर कम्यूनिटी हेल्थ) संस्था द्वारा आयोजित दो दिवसीय उत्तर प्रदेश टीबी चैम्पियंस मेंटरशिप प्रोग्राम के दौरान उन्होंने यहा बातें कहीं। कार्यक्रम में रीच के अलावा सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर), यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी इन्टरनेशनल डेवलवमेंट (यूएसएड), ममता, ग्लोवल हेल्थ सर्विसेज (जीएचएस) सीएचआरआई आदि के प्रतिनिधियों ने भी शिरकत की।
24 अन्य टीबी चैम्पियन और मेंटर को सम्मान
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता ने ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स की रुपईडीहा (बहराइच) शाखा के अधिकारी विकास के साथ ही 24 अन्य टीबी चैम्पियन और मेंटर को भी प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम के दौरान टीबी से जंग जीतने वालों ने अपने अनुभव साझा किये।
नि:शुल्क इलाज सिर्फ सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध
उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इसका सही और नि:शुल्क इलाज सिर्फ सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है। इसके लिए मरीजों को घर पर ही दवा मुहैया कराने के साथ ही अपने सामने ही दवा खिलाने का काम किया जा रहा है। इसमें टीबी चैम्पियन के साथ ही आशा कार्यकर्ता भी मदद कर रही हैं। इलाज के दौरान सरकार निश्चय पोषण योजना के तहत 500 रुपए प्रति माह की आर्थिक मदद भी करती है।
टीबी के लक्षण और बचाव
विशेषज्ञों ने बताया कि दो हफ्ते से अधिक समय तक खांसी, बुखार, भूख न लगना, वजन का गिरना और छाती में दर्द की शिकायत हो तो सरकारी अस्पताल में जांच कराएं। नियमित दवा के साथ खानपान का ख्याल रखने से जल्द ही इस बीमारी पर जीत पायी जा सकती है। इस दौरान धूम्रपान और शराब व नशीली दवाओं का सेवन कदापि न करें। तनाव पर नियंत्रण रखें और संतुलित आहार का सेवन करें।