लखीमपुर-खीरी। बर्थ डिफेक्ट से ग्रसित एक नवजात का जन्म गुरुवार को सीएचसी मितौली में हुआ। इस बच्चे की आंतें पेट से बाहर हैं। इस वजह से इसको लेकर क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं रहीं। वहीं चिकित्सकों ने इसे जेनेटिक प्रॉब्लम बताया है। उनके मुताबिक अगर गर्भवती महिला शुरूआत से चिकित्सक का परमार्श ले और जरूरी जांचे नियमित रुप से कराती रहे, तो ऐसे मामलों में कमी आ सकती है।
आंतें पेट के बाहर
मितौली कस्बे के निवासी अजय सक्सेना की पत्नी पूनम को गुरुवार की सुबह प्रसव पीड़ा होने लगी, जिसके बाद परिजनों ने उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मितौली में भर्ती कराया। जहां पूनम ने एक बच्चे को जन्म दिया। वैसे तो यह बच्चा पूरी तरह स्वस्थ दिख रहा है, परंतु इसकी आंतें पेट के बाहर निकली हुई हैं। इस वजह से बच्चे को लेकर पूरे क्षेत्र में तमाम भ्रांतियां फैल गई और उसे देखने आने वालों का तांता लग गया।
कंजेनाइटल डिफेक्ट बीमारी
वहीं डॉक्टर निशांत गुप्ता ने बताया कि ऐसे बच्चों को अद्भुत नहीं कहा जा सकता है। यह एक बीमारी से ग्रसित होते हैं। जिसका नाम कंजेनाइटल डिफेक्ट है। ऐसे बच्चे जेनेटिक क्रोमोजोम के डिस्ट्रीब्यूशन में गड़बड़ी के चलते जन्म लेते हैं। गर्भ में ही ऐसे बच्चों की पहचान हो सकती है, जिससे अन्य रास्तों को अपनाकर छुटकारा पाया जा सकता है। यह समस्या अधिकतर ग्रामीण इलाकों में सामने आती है। ज्यादातर मामलों में गर्भधारण करने के बाद गर्भवती महिला का चिकित्सकों के सम्पर्क में नहीं रहना इसकी वजह होती है।
यह एक जेनेटिक समस्या
डॉ. गुप्ता के मुताबिक आज मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है। अल्ट्रासाउंड सहित तमाम ऐसे टेस्ट हैं, जिनसे गर्भ में पल रही इस बीमारी का पता चल सकता है। शुरुआती दिनों में इसका पता चल जाने पर गम्भीर स्थिति होने पर गर्भपात कराया जा सकता है। यह एक जेनेटिक समस्या है, इससे घबराना नहीं चाहिए और न ही छिपाना चाहिए।
चिकित्सक की निगरानी में करानी चाहिए सभी जांचें
गर्भवती महिला व उसके परिवार को यह ध्यान रखना चाहिए कि गर्भवती महिला की सभी जांचें चिकित्सक की निगरानी में करानी चाहिए। आज सभी सरकारी अस्पतालों में जांचों की सुविधाएं हैं, जिनका लाभ गर्भवती महिलाओं को मिल रहा है। सरकार भी गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा के लिए तमाम योजनाएं चला रही है। इसका लाभ महिलाओं को उठाना चाहिए।
यह बच्चा कोई अद्भुत बच्चा नहीं
क्षेत्र में फैल रही अफवाह पर उन्होंने कहा कि यह बच्चा कोई अद्भुत बच्चा नहीं है, ऐसे बच्चे सामान्य नहीं माने जाते और अधिकतर मामलों में वह ज्यादा समय तक जीवित भी नहीं रहते हैं। आज ऐसे नवजात बच्चों का इलाज भी संभव है, परंतु वह बहुत महंगा है। सर्जरी के माध्यम से ऐसे बच्चों को ठीक किया जा सकता है, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण अधिकतर ऐसे बच्चे काल के गाल में समा जाते हैं। सही परामर्श और देखरेख मां बच्चे के जीवन को तो बचाती ही है साथ ही ऐसी घटनाएं भी सामने नहीं आती हैं।