डेस्क। लू लगने की दशा में मरीज का मुख लाल हो जाता है, अत्यधिक तेज सिरदर्द शुरू हो जाता है। त्वचा में दाह, गर्मी, हाथ-पैरों तथा आंखों में जलन, गले में खुश्की, मुख सूखना, प्यास अधिक लगना, भूख में कमी, चक्कर, शरीर में कमजोरी और शिथिलता, वमन होना, शरीर में पानी की कमी तथा अधिक गर्मी होने से खून के संचरण की गति धीमी पड़ जाती है, जिससे त्वचा में खिंचाव होने लगता है। लू का ज्यादा असर होने पर नसों में खिंचाव होने लगता है। कभी.कभी तो मरीज में सदमे की हालत पैदा हो जाती है। लू से बचने के लिए लोगों को घर से बाहर निकलने से पहले उचित मात्रा में पानी पीना चाहिए। उन्होंने लोगों से कहा कि शरीर में पानी की कमी न रहने दें।
गर्मी के मौसम में जब तेज गर्म हवाओं के झोंके चल रहे हों, उस वक्त घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। यदि किसी कार्यवश बाहर जाना अति जरूरी हो तो ठंडे पेय की समुचित मात्रा सेवन करने के पश्चात ही बाहर जाएं। ग्रीष्म ऋतु में जो भी भीषण गर्म हवाएं या गर्म हवाओं के झोके चलते हैं उन्हें आम बोल-चाल की भाषा में लू कहते हैं।
आमतौर से दोपहर में धूप में अधिक आवागमन, जलती भट्टी या चूल्हे के नजदीक बैठने या तृषा (प्यास) लगने पर जरूरत के अनुसार जल न ग्रहण करने के कारण ज्यादातर लू लग जाना आम बात है।