लखनऊ। पीजीआई में स्वाइन फ्लू की जांच के नाम पर वसूली का मामला सामने आया है। यही नहीं इस वसूली की बाकायदा रसीद भी तीमारदार को दी गई। यहां जांच के नाम पर दो हजार रुपए लिए गए। कुछ देर बाद ही तीमारदारों को जब मुफ्त में जांच होने का पता चला तो उन्होंने फीस वापस करने की गुजारिश की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। मौजूद डॉक्टरों और कर्मचारियों ने तीमारदार को तुरंत ही दो हजार रुपए जमा करने को कहा। यह भी कहा कि जब तक जांच शुल्क नहीं जमा होगा, तब तक जांच नहीं की जा सकेगी।
पीजीआई परिसर में ही रहने वाले वहीं के संविदा कर्मचारी के पांच साल के बच्चे को स्वाइन फ्लू हुआ। पीडि़त पिता 23 फरवरी की सुबह पीजीआई के स्वाइन फ्लू जांच केंद्र पर पहुंचा। यहां पर तैनात डॉक्टर, कर्मचारियों से जांच के लिए कहा तो उन लोगों ने उससे शुल्क जमा करने की बात कही। इसके लिए डॉ. अभय कुमार सिंह ने फॉर्म रेज कर दिया। मरीज को माइक्रोबॉयोलॉजी के वीरोलॉजी लैब में जांच के लिए दो हजार रुपए शुल्क जमा करने को कहा गया।
अफसरों का निर्देश बताते हुए लिए रुपए
इस संविदा कर्मचारी ने मौजूद डॉक्टर और कर्मचारी से कहा भी कि स्वाइन फ्लू की जांच, इलाज नि:शुल्क है पर, किसी ने उसकी बात नहीं सुनी। संस्थान के अफसरों का निर्देश बताते हुए दो हजार रुपए जमा करने को कहा। मासूम बच्चे के इलाज को देखते हुए कुछ ही देर में पीडि़त पिता ने दो हजार रुपए जमा कर दिए। हालांकि इस बात की शिकायत पीडि़त पिता ने सीएमओ कार्यालय, पीजीआई के अफसरों से भी की, लेकिन अभी तक उसे जमा कराया गया दो हजार रुपए वापस किया गया। न ही कोई अधिकारी जांच के लिए पहुंचा।
पीजीआई के डिप्टी सीएमओ डॉ. केपी त्रिपाठी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी अस्पतालों को निर्देश है कि स्वाइन फ्लू की जांच से लेकर इलाज तक के लिए मरीज या तीमारदारों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा। यह निर्देश स्वास्थ्य महानिदेशक की ओर से सभी अस्पतालों को स्वाइन फ्लू के मामले सामने आते ही जारी कर दिए गए थे। पीजीआई में स्वाइन फ्लू मरीज से जांच के लिए रुपए लिए जाने की शिकायत मिली है। जांच की जा रही है। इसके लिए पीजीआई को पत्राचार भी किया जा रहा है।