लखनऊ। उत्तर प्रदेश में दुर्लभ रोग एमपीएस से पीडि़त मरीज उपचार के लिये सरकार से मदद का इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश में मौजूद इस दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त लगभग 21 मरीजों में सात लोग सरकार से उपचार में मदद न मिलने से पहले ही दम तोड़ चुके हैं। ऐसे मरीजों के परिजन सरकार से अपेक्षा कर रहे हैं कि वह बच्चों की बेहतरी के लिये तत्काल उपचार कराने की सुविधा सुनिश्चित करें।
उच्च न्यायालय ने बच्चों के पक्ष में निर्णय सुनाया
बताते चलें कि दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त बच्चों की दुर्दशा देखने के बाद बीते इस साल मई में उच्च न्यायालय ने स्थिति को समझने के लिये एक महीने में कई सुनवाई भी कर चुका है। सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद उच्च न्यायालय ने बच्चों के पक्ष में निर्णय सुनाया और एसजीपीजीआई को दोबारा उपचार शुरू करने के आदेश दिये। इस निर्णय में आरएएन के अंतर्गत इन बच्चों के उपचार कराने का निर्देश दिया गया था और मरीजों को एसजीपीआई के माध्यम से केन्द्र सरकार के समक्ष अपनी फाइल्स जमा कराने के लिये कहा गया। इसके बाद एसजीपीजीआई में इन बच्चों को उपचार उपलब्ध कराया जायेगा।
तेजी से उपचार कराने की जरूरत
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये अधिवक्ता प्रेम चंद चौहान ने कहा न्यायपालिका ने उपचार उपलब्ध कराने की तत्परता को समझा है और ऐसे में इन मरीजों का तेजी से उपचार कराने की जरूरत है। हालांकि, केन्द्र सरकार ने आरएएन के जरिये उपचार के लिये फंड्स उपलब्ध कराया है, लेकिन राज्य सरकार को भी 1.5 लाख रुपये का वह फंड उपलब्ध कराना चाहिये, जिसका वादा बीते 17 मई को अदालत की सुनवाई में किया गया था। ताकि एसजीपीजीआई में इन मरीजों को तत्काल उपचार उपलब्ध कराने की जरूरत को पूरा किया जा सके।