लखनऊ। अब मिर्गी से पीडि़त व्यक्तियों का प्रदेश के एसजीपीआई में ही इलाज हो सकेगा। इस बात का दावा यहां के डॉक्टरों ने किया है। संस्थान के चिकित्सकों का दावा है कि अब मिर्गी नामक बीमारी का इलाज सर्जरी के माध्यम से लोग करवा सकेंगे। दो मरीजों पर यह सर्जरी सफल भी हो चुकी है।
40 हजार का खर्चा
संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट संस्थान (एसजीपीजीआई) में ही मिर्गी से पीडि़त मरीजों का इलाज सर्जरी के माध्यम से हो सकेगा। चिकित्सकों ने दावा किया है कि 40 हजार रुपये में इस बीमारी का इलाज सर्जरी के जरिए कराया जा सकता है। न्यूरोलॉजी विभाग और न्यूरो सर्जन दोनों विभागों की संयुक्त टीम मिलकर यह सर्जरी करती है।
ऐसे होगा इलाज
न्यूरोलॉजिस्ट सुनील प्रधान के मुताबिक, मिर्गी से विद्युत तरंगों की तीव्रता, किस हिस्से से, कब और कितनी बार आ रहा है इसकी जांच के लिए ईईजी जांच कराई जाती है। इस मशीन को मरीज के सिर पर दो दिनों तक जोड़े रखा जाता है। इससे दिमाग के किस हिस्से में दिक्कत हो रही है, उसका पता लगाया जा सके। उन्होंने बताया कि इसके बाद न्यूरोसर्जन इस क्षतिग्रस्त हिस्से को सर्जरी के माध्यम से निकाल देते हैं। इसके बाद मरीज को मिर्गी के दौरे पडऩे बंद हो जाते हैं।
अंतिम इलाज सर्जरी ही
एसजीपीजीआई के चिकित्सकों के मुताबिक, मिर्गी के मरीज का अंतिम इलाज सर्जरी ही होती है। इससे सिर को ओपन कर माइक्रोस्कोप की मदद से दिमाग के क्षतिग्रस्त हिस्से को काटकर निकाल दिया जाता है। सर्जरी के पांच दिनों बाद मरीज को डिस्चार्ज किया जाता है। गौरतलब है कि अब तक यह सर्जरी केवल केरल एवं दिल्ली के एम्स में होती थी। अब एसजीपीजीआई में भी इसका इलाज शुरू हो गया है।