लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में 8 से 10 फरवरी तक इंटरवेंशनल पल्मोनरी पर वार्षिक अधिवेशन का आयोजन कर रहा है। इसका नाम ब्रांकोकॉन-19 है। पीजीआई का पल्मोनरी विभाग जुलाई 2009 में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सेवा योजना के अंतर्गत स्थापित किया गया था। पल्मोनरी विभाग का मुख्य उद्देश्य उार प्रदेश तथा आस-पास के क्षेत्रों के सांस, फेफ ड़े के रोगियों के लिए अतिविशिष्ठ श्रेणी की जांच, निदान व चिकित्सा प्रदान करना था।
ओपीडी में लगभग 15 हजार मरीज प्रतिवर्ष
यह विभाग डॉ. आलोक नाथ की अध्यक्षता में 4 संकाय सदस्य तथा 14 सीनियर रेजीडेंट के द्वारा अति विशिष्ठ सेवाएं बहुत ही सक्षम रूप में प्रदान की जा रही है। एक दशक के अंतराल में इस विभाग ने प्रदेश ही नही΄ बल्कि पूरे उार भारत में पल्मोनरी मरीजों के लिए श्रेष्ठतम विभाग के रूप मे΄ अपनी पहचान बनाई है व इसकी ओपीडी में लगभग 15 हजार मरीज प्रतिवर्ष आते हैं तथा इस विभाग की 80 प्रतिशत शखाएं है। शुक्रवार को बेसिक तथा अत्याधुनिक ब्रंकोस्कोपिक तकनीकों पर कार्यशाला आयोजित की गयी, जिसमें सामान्य ब्रांकोस्कोपिक प्रक्रिया जैसे-ब्रांकल टी ब्रांकोस्कोपिक लैवेज, ब्रांकोस्कोपी एसएनएसी परीक्षण तथा ब्रांकोस्कोपिक बायोस्कोपीस व अन्य अत्याधुनिक तकनीकों पर कार्यशाला आयोजित किया गया।
रोगी की सेवा बेहतर हो सके
इस कार्यशाला के द्वारा नये पल्मोनोलॉजिस्ट के प्रशिक्षण एवं ज्ञान वर्धन करवाने के लक्ष्य से आयोजित किया गया था, जिससे वे रोगी की बेहतर सेवा कर सकें। सम्मेलन के संयोजक सचिव डॉ. अजमल खान हैं तथा पल्मोनरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आलोक नाथ के नेतृत्व में आयोजित किया है। विभाग के संकाय सदस्य डॉ. जिया हासिम तथा डॉ. मानसी गुप्ता इस सम्मेलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। मुख्य सम्मेलन 9 व 10 फरवरी में आयोजित किया है। जिसमें राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय संकाय विभिन्न इंटरवेन्शनल पल्मोनरीलॉजी अपना बहुमूल्य व्याख्यान प्रदान करेंगे।