लखनऊ। गोरखपुर एम्स ने मरीजों की सुविधाओं के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। एम्स प्रशासन ने मरीजों के पंजीकरण को ऑनलाइन कर अस्पताल में भीड़ कम करने के साथ मरीजों को राहत देने का काम किया है। इस व्यवस्था से मरीज घर बैठे ही अपना पंजीकरण कर सकते हैं। इससे मरीजों का डाटा व उनके इलाज का ब्यौरा अस्पताल प्रशासन के पास सुरक्षित रहेगा।
पहले यह व्यवस्था जोधपुर में थी। गौरतलब है कि इसी व्यवस्था को लागू करने के लिए केजीएमयू ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे, उसी प्रस्ताव को गोरखपुर एम्स ने अपनाया है। नतीजतन पहले दिन से ही वहां ओपीडी पर्चा से लेकर जांच तक की सुविधा ऑन लाइन हो गई।
नहीं लागू हो पाई व्यवस्था
केजीएमयू में 4000 बेड हैं। रोजाना ओपीडी में सात से आठ हजार मरीज आ रहे हैं। मरीजों का इलेक्ट्रॉनिक डाटा सुरक्षित रखने के लिए खास तरह का साफ्टवेयर केजीएमयू ने अपनाया था। इसमें डॉक्टर की सलाह, दवाएं, जांच आदि का ब्यौरा दर्ज किया जा रहा था। केजीएमयू प्रशासन ने ई-हॉस्पिटल व्यवस्था लागू की।
नई व्यवस्था करीब डेढ़ साल बाद भी पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है। आए दिन सर्वर संबंधी परेशानी का सामना मरीजों को झेलना पड़ रहा है। जबकि पहले केजीएमयू से कैंसर संस्थान और ट्रॉमा टू भी जुड़ा था। जांच रिपोर्ट भी मरीजों को ऑन लाइन नहीं मिल पा रही हैं। केजीएमयू ने जिस व्यवस्था को अपने यहां से हटाया उसे राष्ट्रीय स्तर के संस्थान अपना रहे हैं।
डाटा सुरक्षित रखना जरूरी
मरीजों को दुश्वारियों से बचाने के लिए जांच आदि का डाटा इलेक्ट्रॉनिक रूप से सुरक्षित रखना जरूरी है। ताकि मरीजों को इलाज संबंधी फाइल लेकर न भटकना पड़े। जांच आदि के खोने का खतरा भी कम होता है। डॉक्टरों को शोध आदि करने में भी आसानी होती है।