लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में शनिवार को विरोहेपटोकॉन, एक दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन कुलपति प्रो. मदन लाल ब्रह्म भट्ट के करकमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि यह बड़े ही हर्ष का विषय है कि इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन चिकित्सा विश्वविद्यालय में हो रहा है। केजीएमयू का प्रारम्भ 1911 में 17 विद्यार्थियों एवं 100 बेड से हुआ था। आज यहां पर वर्तमान में 5500 विद्यार्थी, चार संकाय, 4500 बेड है।
देश सबसे बड़ा चिकित्सा शिक्षा संस्थान
केजीएमयू प्रदेश का ही नही देश सबसे बड़ा चिकित्सा शिक्षा संस्थान है। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा इस साल में चिकित्सा विश्वविद्यालय को चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण में पहला स्थान प्रदान किया गया तथा ओवर ऑलकैटेगेरी में देश में तृतीय स्थान प्रदान किया गया है। वर्तमान में चिकित्सा विश्वविद्यालय में 500 संकाय सदस्य कार्यरत है। चिकित्सा विश्वविद्यालय के ऊपर मरीजों का बहुत ज्यादा भार है। यहां पर प्रत्येक दिन 10,000 लोग ओपीडी में आते हैं। 150-200 के करीब प्रत्येक दिन बड़ी शल्यक्रिया की जाती है। मरीजों के इतने दबाव के बाद भी चिकित्सा विश्वविद्यालय में मरीजों को गुणवत्ता पूर्ण चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। मरीजों के देखभाल में गुणवत्ता से कभी भी समझौत नही किया जाता है।
बच्चों के हेपेटाइटिस और ईमेंग्लोबली में कमी
सम्मेलन के साइंटिफिक कार्यक्रम में यूके से आए डॉ. शिशु सुदर्शनानंदस्वरूप शर्मा ने कहा कि बच्चों के हेपेटाइटिस और ईमेंग्लोबली में कमी आ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण लोगों में हाईजिन के प्रति बढ़ती जागरुकता है। हेपेटाइटिस ए और ई का सबसे बड़ा कारण गंदगी, गंदा पानी, खाने पीने की वस्तुओ में संक्रमण आदि हैं। हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण होने से हेपेटाइटिस बी में भी कमी आ रही है। किंतु अन्य देशो की अपेक्षा भारत में अभी हेपेटाइटिस के केसो में उतनी तेजी से कम नही होर ही है।
ज्ञात हो कि हेपेटाइटिस बी और सी ब्लड के सम्पर्क से फैलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़ों के हिसाब से अभी तक 58 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण हो रहा है किंतु इसे 2020 तक 90 प्रतिशत ले जाने का है और इसे 2030 तक में टेन करना है। मां से बच्चों में फैलने वाले हेपेटाइटिस को 38 प्रतिशत अभी रोका जाता है जिसे वर्ष 2020 तक 50 प्रतिशत तथा वर्ष 2030 तक 90 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। किंतु लोगों में हेपेटाइटिस के प्रति जागरुकता न होने के कारण लक्ष्य को प्राप्त करने में कठिनाई उत्पन्न हो रही है।
यकृत तुरंत काम करना बंद कर देता है
कार्यक्रम में डॉ. राखी मयावाल ने बताया कि बहुत सारे लोगों को लीवर सिरोसिस आदि की समस्या पहले से होती है किंतु उन्हे पता नही होता और तब यदि उन्हें किसी हेपेटाइटिस बी या सी के वायरस का संक्रमण होता है तो उनका यकृत तुरंत काम करना बंद कर देता है। डॉ. राखी ने साथ ही यह भी बताया कि हेपेटाइटिस डी जिस किसी भी मरीज को हो उसे हेपेटाइटिस बी अवश्य होता है क्योंकि बिना हेपेटाइटिस बी के हेपेटाइटिस डी का वायरस जिंदा नही रह पाता है। हमें लोगों को हेपेटाइटिस के प्रति जागरूक करने के लिए पॉलिसी बनानी पड़ेगी। सभी हेल्थ वर्कर को हमे हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण करना पड़ेगा।
लिवर का फाइब्रोस्कैन
40 के बाद मधुमेह के रोगियों, मोटे लोगों को एक बार अपना लिवर फंक्शन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड और लिवर का फाइब्रोस्कैन एक बार करा लेना चाहिए। इस कार्यक्रम में सचिव डॉ. अजय कुमार, मेडिसिन विभाग, केजीएमयू द्वारा दिया गया। इस अवसर पर प्रो. रवि मिश्रा, प्रो विरेन्द्र आतम, डॉ. अशोक चंद्रा, डॉ. सीजी अग्रवाल, डॉ. एससी चौधरी, डॉ. सिद्धार्थ कुंवर सहित विभिन्न संकायों के संकाय सदस्य एवं चिकित्सा विद्यार्थी उपस्थित रहे।