अल्ट्रासाउंड मशीनों की आपूर्ति करने वाली नौ कंपनियों को निर्देश
लखनऊ| अभी तक सिर्फ पेट और शरीर के दूसरे अंगों का अल्ट्रासाउंड करने वाले सेंटरों का पंजीकरण जरूरी था। ताकि गर्भ में पल रहे शिशुओं की पहचान करने वाले अवैध सेंटरों की धर -पकड़ की जा सके। इस तरह चल रहे लखनऊ में करीब 374 अल्ट्रासाउंड सेंटर पंजीकृत हैं। इसके बाद अब आंखों का अल्ट्रासाउंड करने वाले सेंटरों को भी पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
बिना पंजीकरण के कंपनियां सेंटरों में डैमो अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं
सीएमओ कार्यालय ने इसे अपने दायरे में लेने की दिशा में एक अहम फैसला उठाया है। इसमे डैमो अल्ट्रासाउंड मशीन का पंजीकरण भी जरूरी हैं| साथ ही डैमो अल्ट्रासाउंड मशीन के दुरपयोग रोकने के लिए सीएमओ ने अहम कदम उठाया है। अब बिना पंजीकरण के कंपनियां सेंटरों में डैमो अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं लगा सकेंगी। सबसे पहले सेंटर संचालक को सीएमओ दफ्तर में डैमो अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने के लिए सीएमओ कार्यालय में पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण देखने के बाद कंपनी सेंटर में मशीन लगा सकेगी। अभी कंपनियां मनमाने तरीके से सेंटरों में डैमो अल्ट्रासाउंड मशीन लगा रही हैं। संचालक उसमें क्या जांच कर रहे है| ये किस चीज की जांच कर रहे है, कुछ पता नहीं चलता था।
जिलाधिकारी की लेनी होगी इजाजत
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ राजेंद्र चौधरी ने बताया कि जिलाधिकारी की इजाजत लेनी होगी। इसके लिए अल्ट्रासाउंड मशीनों की आपूर्ति करने वाली नौ कंपनियों को निर्देश जारी किए जा चुके हैं। ऑनलाइन देनी होगी जानकारी डॉ. राजेंद्र चौधरी ने कहा कि ऑन लाइन अल्ट्रासाउंड की जानकारी सेंटर संचालकों को दर्ज करनी होगी। इसके लिए सीएमओ कार्यालय से सेंटर संचालक आईडी व पासवर्ड हासिल कर सकते हैं।