लखनऊ। आज के समय में वायु प्रदूषण के चलते अस्थमा के रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इस बीमारी की चपेट में बच्चे ही नहीं बुजुर्ग भी चपेट में आ रहे हैं। अस्थमा की रोकथाम के लिए जागरुकता जरूरी है। इसलिए विश्व भर में मई माह के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है।
यह होता है
अस्थमा को लेकर लोहिया अस्पताल के वरिष्ठ चेस्ट विशेषज्ञ डॉ. एचजी सिंह ने कहा कि अस्थमा में सांस की नलियों में जलन, सिकुडऩ या सूजन की स्थिति होती है। ऐसे में ज्यादा बलगम बनता है और सांस लेने में तकलीफ होती है। इसके अलावा सीने में दर्द, खांसी और सांस लेने में घरघराहट की आवाज आती है।
इनहेलर के साथ स्टेराइड की जरूरत
इस दौरान लोहिया संस्थान के चेस्ट विशेषज्ञ डॉ. हेमंत कुमार ने कहा कि अस्थमा में खुद की देखभाल व ब्रानकोडाइलेटर आमतौर पर लक्षणों का इलाज करने वाले बचाव इनहेलर से दमा पर काबू किया जा सकता है। गंभीर मामलों में सांस की नली को खुला रखने वाले इनहेलर के साथ ही सांस के साथ के लिए जाने वाले स्टेराइड की जरूरत होती है।
कम्प में 102 मरीजों की हुई जांच
विश्व अस्थमा दिवस पर डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय और इंस्टीट्यूट के संयुक्त तत्वावधान में कैम्म का आयोजन किया गया था। यह कैम्प संयुक्त चिकित्सालय के निदेशक डॉ. डीएस नेगी और इंसटीट्यूट के निदेशक एके त्रिपाठी और संयुक्त चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. एसके श्रीवास्तव, अधीक्षक एमएल भार्गव की ओर से आयोजित किया गया था। कैम्प में 102 मरीजों का चेकअप किया गया। मरीजों का पीएफआर और कुछ मरीजों का पीएफटी कर दवाइयों का वितरण किया गया।