लखनऊ। भीषण गर्मी में हीट वेव (लू) से आपको बचने की जरूरत है। यह जानलेवा भी हो सकता है। उतर प्रदेश के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान में 2 से 4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की बात मौसम विभाग ने जारी किया है। उत्तर प्रदेश में 4 दिनों के लिए हीट वेव तथा लू की चेतावनी जारी की है। कई इलाकों में तापमान लगभग 40 से 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है जिसके साथ हीट वेव (गर्म हवाएं चलने) जैसी स्थिति हो सकती है।
हो चुकी है एक मौत
उक्त बातें बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के सभाकक्ष में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए संचारी रोग की निदेशक डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी ने कहा कि लू से बचाव जरूरी है। डा. मिथिलेश चतुर्वेदी ने बताया कि 28 अप्रैल को बलिया में एक व्यक्ति की लू लगने से मृत्यु की सूचना प्राप्त हुई है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा नोडल अधिकारी डॉ. केपी त्रिपाठी भी उपस्थित थे।
हीट स्ट्रोक के लक्षण
गर्म लाल सूखी त्वचा का होना, पसीना ना आना तेज पल्स होना, उथले श्वास गति में तेजी, व्यवहार में परिवर्तन, भ्रम की स्थिति, सिर दर्द, मतली, थकान और कमजोरी होना, चक्कर आना, मूत्र ना होना या मूत्र में कमी है।
शरीर को ढक कर रखें
जानकारी देते हुए डॉ. मिथिलेश ने कहा कि जो लोग एक या 2 घंटे से अधिक समय तक 40.6 डिग्री सेल्सियस तापमान अथवा गर्म हवा में रहते हैं, उनके मस्तिष्क में क्षति होने की संभावना ज्यादा होती है। हीट स्ट्रोक में निकलने से बचे, अगर धूप में निकलना जरूरी है तो निकलते वक्त छाता लगा ले या टोपी पहन लें एवं ऐसे कपड़े पहने जिससे शरीर अधिक से अधिक ढका रहे।
बचने के उपाय
इस रोग से बचने के लिए जरूरी है कि पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर घर से बाहर निकला जाए एवं समय-समय पर पानी पिया जाए। निर्जलीकरण से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि अधिक मात्रा में पानी, मौसमी फलों का रस, गन्ने का रस ,कच्चे आम का रस, ओ आर एस घोल, नारियल का पानी आदि का उपयोग किया जाए। चाय कॉफी तथा कोल्ड ड्रिंक पीने से परहेज करें।
ऐसा करें
हीट स्ट्रोक से पीडि़त होने पर शरीर के तापमान को नियंत्रित करने का प्रयास करें। मरीज को ठंडे स्थान पर रखें, मरीज को ठंडी हवा करें तथा उसके शरीर को स्पंज अथवा गीले कपड़े से पहुंचे। मरीज को ठंडे पानी के टब में रखें अथवा उसके ऊपर बर्फ की पट्टी रखें। जब तक उसका तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट तक ना हो जाए। पानी की कमी होने की स्थिति में आईवी फ्लूइड दें।
शासन द्वारा भेजा गया है पत्र
डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी ने बताया कि पेयजल की व्यवस्था के लिए नगर निगम, जल निगम तथा नगर पालिकाओं को शासन द्वारा पत्र भेजा गया है कि पेयजल की कमी वाले स्थानों पर टैंकर द्वारा एवं प्याऊ द्वारा पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करें। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम वासियों को इंडिया मार्क टू हैंड पंप (डीपबोरवेल) का जल का प्रयोग पीने में करने हेतु प्रेरित करें। समस्त शैलो हैंडपंप चिन्हित करते हुए उसके जल का उपयोग पीने में ना करने के लिए निर्देशित करें। पानी का उचित एवं नियमित क्लोरिनेशन कराया जाना एवं जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। आपूर्तित पेयजल में ओटी जांच नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग व जल संस्थान के संयुक्त माध्यम से कराई जाए।
सड़े गले खाद्य पदार्थों तथा फलों का प्रयोग न करें। बासी भोजन अथवा खुले में बिकने वाला गन्ने का रस, अन्य फलों का रस, कटे फल, खुली तली भुनी खाद्य वस्तुओं एवं प्लास्टिक पाउच में बिकने वाले पेयजल, खाद्य पदार्थों के प्रयोग को प्रतिबंधित किया जाए। संक्रमित, बासी खाद्य एवं पेय पदार्थों के प्रयोग न करने के लिए जनमानस में व्यापक स्वास्थ्य शिक्षा एवं प्रचार प्रसार सुनिश्चित किया जाए।
यह करें
- पानी ज्यादा पिए ताकि शरीर में पानी की कमी से होने वाली बीमारी से बचा जा सके
- हल्के ढीले ढाले सूती वस्त्र पहने ताकि शरीर तक पहुंचे और पसीने को सोखकर शरीर को ठंडा रखे।
- धूप में बाहर जाने से बचे, अगर बहुत जरूरी हो तो धूप के चश्मे, टोपी व जूता चप्पल पहनकर ही घर से निकलें।
- यात्रा करते समय अपने साथ बोतल में पानी जरूर रखें।
- गर्मी के दिनों में ओआरएस का घोल पिएं।
- घरेलू पेय जैसे नींबू पानी, कच्चे आम का पन्ना का प्रयोग करें जिससे शरीर में पानी की कमी ना हो।
- गर्मी से उत्पन्न होने वाले विकारों, बीमारियों को पहचाने, तकलीफ होने पर तुरंत चिकित्सीय परामर्श लें।
- जानवरों को छायादार स्थान में रखें, उन्हें पीने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी दें।
- अपने घर को ठंडा रखें। घर को ढककर या पेंट लगाकर 3-4 डिग्री तक ठंडा रखा जा सकता है। कार्यस्थल पर पानी की समुचित व्यवस्था रखें।
ऐसा न करें
- धूप में खड़े वाहनों में बच्चों व पालतू जानवरों को न छोड़ें। दिन के 11:00 से 3:00 के बीच बाहर ना निकलें।
- गहरे रंग के भारी एवं तंग वस्त्र पहनने से बचें।
- खाना बनाते समय कमरे के दरवाजे खुले रखें जिससे हवा का आना-जाना बना रहे। नशीले पदार्थ शराब तथा अल्कोहल के सेवन से बचें।
- उच्च प्रोटीन युक्त पदार्थों का सेवन करने से बचें। बासी भोजन न करें।