दिल्ली। आमतौर पर शादीशुदा महिलाओं में पीरियड्स के न आने से सीधा संकेत प्रेग्नेंसी की तरफ होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। किन्हीं और कारणों की वजह से भी ऐसा हो हो सकता हैं। पीरियड्स के लेट होने के कई कारण होते हैं।
तनाव
स्ट्रेस या फिर किसी तरह के कोई तनाव के कारण पीरियड्स अनियमित होता है। यह हमारे स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित करता है। यही कारण है कि तनाव अंडोत्सर्ग के लिए जिम्मेदार हार्मोन जीएनआरएच के स्राव को कम कर देता है, जिससे पीरियड्स में अनियमितता आती है।
बीमारी
कभी-कभार बुखार जैसी छोटी-मोटी बीमारियों के कारण भी पीरियड्स पर असर पड़ता है। लंबे समय तक रहने वाली बीमारियां भी पीरियड्स पर असर डालती हैं। हालांकि इनका प्रभाव अस्थायी होता है। बीमारी ठीक होने पर पीरियड्स की अनियमितता भी सही हो जाती है।
स्तनपान
बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं को स्तनपान कराने की वजह से भी पीरियड्स के लेट होने की समस्या हो सकती है। कई ऐसे केसेस हैं, जिनमें महिलाओं का मासिक चक्र तब तक सही नहीं हुआ जब तक वह स्तनपान कराती रहीं।
गर्भनिरोधक गोली
अगर आपने अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन की हैं, तो पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं। ऐसे में लाइटर या फिर स्किप्ड पीरियड्स की शिकायत होती है। इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें।
मोटापा
पीरियड्स के रेगुलर न होने का एक कारण मोटापा भी है। इतना ही नहीं यह पीरियड्स में देरी और पीरियड्स न आने का भी कारण होता है। इसके अलावा सामान्य से कम वजन का होना भी पीरियड्स के अनियमित का कारण बनता है।
प्री-मेच्योर मेनोपॉज
35-40 की उम्र में महिलाओं में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। ऐसे में पीरियड्स का होना बंद होता है। यह प्रक्रिया अगर समय से पहले हो जाती है तो इसे प्री-मोच्योर मेनोपॉज कहते हैं। इस स्थिति में महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।