लखनऊ। जन्म के बाद मां का दूध बच्चे के लिए वरदान साबित होता है। लेकिन उत्तर प्रदेश में करीब 25 फीसदी बच्चे जन्म के एक घंटे के अंदर मां का स्तनपान नहीं कर पा रहे हैं। जन्म के बाद बच्चे के लिए मां के प्रथम दूध में मौजूद पोषक तत्व और एंटीबॉडी बच्चे को दीर्घजीवी और निरोग बनाने में यह प्रथम टीके की तरह काम करते हैं।
बीमारी की संभावना अधिक
जन्म के प्रथम घंटे में स्तनपान से वंचित बच्चों में बीमारी की संभावना अधिक होती है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। उक्त बातें विश्व स्तनपान दिवस में राज्य कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई सभागार में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कही गई। प्रेस कांफ्रेंस को वी हेकाली झिमोमी, आईएएस, सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने संबोधित किया। बता दें कि उक्त जानकारी यूनीसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताई गई है।
स्तनपान कराने के लिए समर्थन नहीं मिलता
विश्व स्तनपान सप्ताह की पूर्व संध्या पर सचिव, वी हेकाली झिमोमी, आईएएस ने कहा कि मां को जन्म के बाद उन महत्वपूर्ण मिनटों में स्तनपान कराने के लिए चिकित्सा विभाग के कर्मियों और परिवारीजनों से पर्याप्त समर्थन नहीं मिलता है। प्रसव के उपरान्त देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से समुदाय और स्वास्थ्य इकाई दोनों स्तरों पर स्तनपान कराने के प्रचार कार्य में सक्रियता जारी है। राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों के साथ साझेदारी में स्वास्थ्य इकाई स्तर पर प्रत्येक नवजात को स्तनपान कराने के लिए एक राज्यव्यापी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
यह भी बताया गया
महाप्रबंधक बाल स्वास्थ्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डॉ. अनिल कुमार वर्मा ने बताया कि एनएचएम के प्रदेश में स्तनपान के प्रचार के लिए मां मदर्स एब्सल्यूट अफेक्शन के नाम से कार्यक्रम कार्यान्वित कर रहा है ताकि स्तनपान को स्वास्थ्य इकाई और समुदाय दोनों स्तर पर बाल अस्तित्व के लिए प्राथमिक व्यवहार हो सके। राज्य ने सभी 75 जिलों में प्रशिक्षकों का एक पूल बनाया है और कार्यक्रम स्केलिंग धीरे-धीरे प्रगति पर है।