लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान संविदा कर्मचारी संघ का स्थापना दिवस मंगलवार को संस्थान में धूमधाम से मनाया गया। इसमें सभी कर्मचारियों ने मिठाईयां बांटकर और केक काटकर खुशी जाहिर की। स्थापना दिवस के मौके पर पंचायती राज विभाग के वरिष्ठ कर्मचारी नेता रामेन्द्र कुमार श्रीवास्तव मौजूद थे।
जल्द फैसला नहीं तो होगा बड़ा आंदोलन
स्थापना दिवस पर संविदा कर्मचारी संघ द्वारा यह निर्णय लिया गया कि अगर संस्थान द्वारा वेतन बढ़ोतरी से संबंधित उचित कार्रवाई जल्द नहीं की गई तो सभी कर्मचारी वृहद आंदोलन को बाध्य होंगे। क्योंकि सातवें वेतनमान की मांग को लेकर संस्थान के स्थायी कर्मचारी आंदोलन पर हैं। अगर मांग पूरी नही हुई तो संविदा कर्मचारी संघ भी इनके साथ आंदोलन में जाने को मजबूर होगा।
हर स्तर पर लड़ाई लडऩे को तैयार
स्थापना दिवस के मौके पर संबोधित करते हुए संविदा कर्मचारी संघ के महामंत्री सच्चिदानंद मिश्रा ने बताया कि संगठन सदैव से कर्मचारी हित की लड़ाई लड़ रहा है, मगर संस्थान के उच्च अधिकारी इन कर्मचारियों की समस्याओं को नजरअंदाज करते आ रहे हैं जिससे शासन स्तर से कर्मचारी हित में कोई उचित निर्णय नहीं हो पा रहा। पिछले 3 वर्ष में कर्मचारियों का एक भी रुपए वेतन बढ़ोतरी नहीं हुआ और ना ही अन्य मांगों पर कोई सुनवाई हुई। अब समय आ गया है की कर्मचारी अपनी आवाज बुलन्द करें। आज स्थापना दिवस के मौके पर सभी कर्मचारी संकल्प लें कि अपने मांगों को पूरे करने के लिए हर स्तर पर लड़ाई लडऩे को तैयार है।
न्यूनतम वेतन अधिनियम का पालन संस्थान में जरूरी
अध्यक्ष रणजीत सिंह यादव ने अपने संबोधन में कहा कि 5 सूत्रीय मांग पत्र मंगलवार को निदेशक को दिया गया है जिस पर कोई निर्णयात्मक कार्रवाई ना होने की दशा में कर्मचारी संगठन आंदोलन को बाध्य होगा। संविदा कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष विकास तिवारी ने संबोधन में कहा कि अब शासन अथवा संस्थान प्रशासन की ओर से शिथिल रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार के न्यूनतम वेतन अधिनियम का पालन संस्थान में जरूरी है जिससे कर्मचारियों को पदानुसार वेतन मिल सके। प्रदेश के उच्च स्तरीय संस्थान में कर्मचारियों का वेतन 20000 रुपये से भी कम है चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को आज भी रुपया 9000 वेतन दिया जा रहा है जबकि केंद्र सरकार का न्यूनतम वेतन रु 24000 हो चुका है।
वर्तमान सरकार का रवैया ठीक नहीं
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रांतीय महामंत्री रामेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि कर्मचारियों की समस्याओं के प्रति वर्तमान सरकार का रवैया ठीक नहीं है। सरकार और शासन के तमाम प्रतिनिधि आउटसोर्सिंग व्यवस्था को बढ़ावा देकर प्रदेश के लाखों युवाओं का शोषण एवं उत्पीडऩ कर रहे हैं। आज भी कर्मचारियों को 8 घंटे ड्यूटी का रु 5000 से 10000 रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाता है जबकि ये कर्मचारी तमाम संक्रमित क्षेत्र में कार्य करते हैं। इनको हमेशा बीमारियों का ख़तरा होने के बाद भी जनहित में मरीजों की सेवा निस्वार्थ भाव से करते हैं। इस प्रकार कर्मचारियों के पास मात्र आंदोलन ही एक विकल्प है।