डेस्क। भारत में निपाह वायरस तेजी से पांव पसार रहा है। केरल में एक ही परिवार के तीन लोगों की इस वायरस से मौत हो गई है। इससे पहले 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में इस वायरस का मामला सामने आया था। यह एक तरह का संक्रमित रोग है। मेडिकल की भाषा में इसे छपट भी कहा जाता है।
ऐसे फैलता है
बताया जाता है कि फल और सब्जी खाने वाले चमगादड़ और सुअर के जरिए निपाह वायरस आम लोगों में फैलता है। इस वायरस के चपेट में आने से मौत भी हो सकती है। बचाव के जरिए ही इससे बचा जा सकता है। निपाह वायरस का कोई स्टिक इलाज नहीं है। सरकार भी इस विषय को लेकर चिंता में है।
लक्षण
निपाह वायरस की चपेट में आने वाले इंसान में एन्सेफलाइटिस सिड्रोम के जरिए यह वायरस तेजी से फैलता है। तेज बुखार, दिमाग या सिर में तेज जलन, दिमाग में सूजन और दर्द, मानसिक भ्रम, सांस लेने में परेशानी होती है।
ऐसे करें बचाव
एक बार संक्रमण फैल जाने पर 24 से 48 घंटे में मरीज कोमा में जा सकता है और मौत भी हो सकती है। अगर आप इससे बचना चाहते हैं तो पेड़ से गिरे हुए प्प्ल ना खाएं। सब्जी खरीदते समय सब्जी पर जानवरों के निशान दिखें तो ना खरीदें। जहां चमगादड़ अधिक रहते हैं वहां खजूर का सेवन ना करें। अगर किसी को संक्रमण है तो जानवरों के पास जाने से बचें। सुअर और चमगादड़ों से दूर रहें।
उच्चस्तरीय दल को जांच तथा बीमारी की रोकथाम के लिए भेजा
चमगादड़ से फैलने वाले पिाह वायरस से हुई मौतों की पुष्टि के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने केरल में उच्चस्तरीय दल को जांच तथा बीमारी की रोकथाम के लिए भेजा है। भेजे गए दल में नेशनल सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल (एनसीडीसी) के निदेशक डॉ. सुजीत के सिंह, वरिष्ठï वैज्ञानिक एसके जैन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में आपातकालीन सेवाओं के निदेशक डॉ. पी रविंद्र, वरिष्ठï वैज्ञानिक डॉ. नवीन गुप्ता और पशुपालन विभाग के दो अधिकारी शामिल हैं।