लखनऊ। अब आप घुटने के दर्द को बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें। आगे चलकर यह समस्या अर्थराइटिस का रूप ले सकती है। इसके अलावा भी कई अन्य बीमारियां हो सकती हैं। फिर आगे चलकर घुटना बदलने की नौबत आ जाती है। आज के समय में एक नई तकनीक आ गई है। इसे हम आक्सफोर्ड पार्शिलय घुटना प्रत्यारोपण कहते हैं। यह जानकारी केजीएमयू के आर्थोपेडिक्स विभागाध्यक्ष प्रो. विनीत शर्मा ने दी। वह घुटना प्रत्यारोपण को लेकर आयोजित आक्सफोर्ड सिम्पोसियम को संबोधित कर रहे थे।
कम समय में छोटे से चीरे से ऑपरेशन
कार्यशाला के आर्गेनाइजिंग सचिव केजीएमयू के डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि पार्शियल घुटना प्रत्यारोपण एक आधुनिक विधि है। इसका प्रयोग घुटने की आर्थराइटिस/गठिया के मरीजों में किया जा रहा है। इस विधि में घुटने के केवल खराब हो चुके हिस्से को ही बदला जाता है, न कि पूरा घुटना प्रत्यारोपित किया जाता है। इससे मरीज को सामान्य रूप से अपने काम करने में सुविधा रहती है। इस मौके पर केजीएमयू के डॉ. अजय सिंह, मेयो अस्पताल के डॉ. आरपी सिंह, इलाहाबाद से डॉ. प्रनव पांडेय समेत कई डॉक्टर मौजूद रहे। वहीं आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि इस विधि में कम समय में छोटे से चीरे से ऑपरेशन हो जाता है।
कम लगते हैं टांके
प्रो. शर्मा ने बताया कि जिन मरीजों में 30 से 40 वर्ष की उम्र में घुटना घिस जाता है, उनके लिए यह तकनीक बेहद कारगर है। इस आपरेशन में समय कम लगता है और टाकें भी कम लगाने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि करीब 30 से 40 फीसदी गठिया के मरीजों में घुटना बदलने की जरूरत पड़ती है। इसमें 20 फीसदी ऐसे मरीज होते हैं, जिनका एक हिस्सा बदलकर काम चलाया जा सकता है।
ये थे मौजूद
इस दौरान प्रदेशभर से आए करीब 150 हड्डी रोग विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। आरएमएल संस्थान के डा. सचिन अवस्थी ने प्रत्यारोपण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों से अवगत कराया। मौके पर डा. अजय सिंह, डा. शैलेंद्र कुमार यादव, डा. आरपी सिंह, डा. प्रणव पांडेय, डा. नरेंद्र सिंह, डा. धर्मेंद्र कुमार, डा. शाह वलीउल्लाह आदि मौजूद थे।