लखनऊ। देश की राजधानी दिल्ली और कई अन्य बड़े महानगरों में वायु प्रदूषण की समस्या जहां गंभीर हो चुकी है, वहीं उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी वायु गुणवत्ता में निरंतर गिरावट आती जा रही है। कह सकते हैं कि यहां की आबो हवा भी अब ठीक नहीं है। यह बात ग्रीनपीस इंडिया की ताजा रिपोर्ट से भी साबित होती हे।
सोमवार को ग्रीनपीस इंडिया ने वार्षिक रिपोर्ट एयरपोक्लिपस का तीसरा संस्करण जारी की। इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के 22 शहरों की वायु गुणवत्ता के डाटा को शामिल किया गया है, जो सभी वायु गुणवत्ता की दृष्णि से अयोग्य शहरों की सूची में आते हैं। इन 22 शहरों में 10 शहर प्रस्तावित स्मार्ट सिटी में शामिल हैं। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में इन 22 शहरों में से सिर्फ 15 शहर को शामिल किया गया है।
25 सबसे प्रदूषित शहरों में 13 यूपी के
रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि एनसीएपी 2014 तक 30 फीसदी भी प्रदूषण कम करने में सफल रहता है फिर भी यूपी का एक भी शहर ऐसा नहीं होगा जो राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक को पूरा कर सके। इस रिपोर्ट में 313 शहरों के साल 2017 के पीएम10 स्तर का विश्लेषण किया गया है। अगर औसत पीएम 10 स्तर के आधार पर रैंकिग को देखें तो पता चलता है कि साल 2017 में देशभर के 25 सबसे प्रदूषित शहरों में 13 शहर यूपी के हैं। इनमें से गाजियाबाद, हापुड़, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर क्रमश: तीसरे (281), चौथे (254), छठे (246), सातवें (244) और दसवें (224) स्थान पर है।
2024 तक होगा यह हाल
ग्रीनपीस के अभियानकर्ता सुनील दहिया ने बताया कि हम अक्सर देश में वायु प्रदूषण की स्थिति बताने के लिए दिल्ली का उदाहरण देते हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के जितने भी शहरों की वायु गुणवत्ता के डाटा उपलब्ध हैं, वह बताते हैं कि गंभीर रूप से प्रदूषित हैं। यदि 2024 तक इन शहरों का 30 प्रतिशत प्रदूषण भी कम होता है, फिर भी यूपी के ज्यादातर शहर दिल्ली से ज्यादा प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर होंगे। सुनील आगे कहते हैं, यह देखना दिलचस्प है कि हमारे प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र और प्रस्तावित स्मार्ट सिटी वाराणसी की हवा भी राष्ट्रीय मानकों से कम से कम चार गुणा ज्यादा है और 2024 यदि एनसीएपी अपने लक्ष्यों को पाने में कामयाब भी हो जाता है तो वाराणसी की हवा में प्रदूषण राष्ट्रीय मानक से तीन गुणा ज्यादा होगी।