लखनऊ। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में सोमवार को शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के मदरसों के प्रधानाचार्य तथा शिक्षकों की एक बैठक हुई। बैठक में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने 26 नवंबर से शुरू होने वाले मीजल्स रूबेला अभियान के बारे में मदरसा शिक्षकों को जागरूक किया।
लगने के बाद स्वत: ही बेकार हो जाती है इंजेक्शन
बैठक में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉक्टर एमके सिंह ने 26 नवंबर से प्रारंभ होने वाले मिजिल्स रूबेला टीकाकरण अभियान के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इस अभियान में प्रत्येक बच्चे के लिए एक सिरिंज का प्रयोग किया जाएगा जो ऑटो डिसएबल है, इसका मतलब यह है कि यह सिरिंज एक इंजेक्शन लगने के बाद स्वत: ही बेकार हो जाती है। इससे दूसरे बच्चे को इंजेक्शन नहीं लगाया जा सकता।
9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को दी जानी है यह खुराक
उन्होंने बताया कि 9 माह से 15 वर्ष तक के सभी बच्चों को यह खुराक दी जानी है। यह एक एडिशनल खुराक है, जो सभी बच्चों को दी जाएगी। चाहे उन्हें पहले यह इंजेक्शन लगा हो अथवा ना लगा हो। उन्होंने कहा कि अभियान पहले 2 सप्ताह में स्कूलों में चलाया जाएगा। उसके बाद के 2 सप्ताह में समुदाय में जहां टीकाकरण सत्र लगाए जाते हैं। आंगनबाड़ी केंद्र, प्राथमिक विद्यालय, पंचायत घर तथा अन्य स्थानों पर जहां टीकाकरण सत्र होते हैं, वहां पर लगाया जाएगा इसके बाद 1 सप्ताह तक माप अप राउंड चलाया जाएगा जिसमें सभी छूटे हुए बच्चों को यह टीका लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को इस अभियान का शुभारंभ मुख्यमंत्री द्वारा किया जाएगा।
ये थे मौजूद
बैठक में 136 मदरसों के प्रधानाचार्य तथा शिक्षकों ने भाग लिया। बैठक में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन डॉक्टर अजय राजा, कंट्रोल रूम प्रभारी डा एसके सक्सेना, जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारीयोगेश रघुवंशी, यूनिसेफ से डॉक्टर संदीप शाही तथा डब्ल्यूएचओ एनपीएसपी से डॉ. विकास भी उपस्थित थे।