लखनऊ। प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम को प्रदेश के 57 जिलों में इस स्कीम को चलाया जा रहा और इनमें से 25 जिलों को हाई प्रायोरिटी लिस्ट में रखा गया है। देश में आज भी माहवारी से होने वाली समस्याओं के समाधान के लिये मिलने वाली सेवाओं के बारे में अधिकतर लड़कियों को जानकारी नहीं होती। यह तथ्य यूएन फंड फॉर पॉपुलेशन एक्टिविटीजे के स्टेट ऑफ वल्र्ड पॉपुलेशन-17 की रिपोर्ट मे΄ सामने आये हैं।
जानकारी देने का लक्ष्य
रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें तो ये भी नही΄ पता होता कि सेक्शुएल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़े मुद्दों के लिये सरकारें किसी तरह की योजनाएं भी चलाती हैं। इसके बाद भी आम जानकारी में उपलध आंकड़ो΄ के मुताबिक इन क्लीनिक्स में जाने वाले लड़के और लड़कियों की संख्या नहीं के बराबर है और 15 से 500 के बीच ये आंकड़ा हर महीने काफी बदलता रहता है। इस स्कीम का लक्ष्य है कि किशोरो΄ और किशोरियो΄ की समस्याओ΄ को लीनिक के अ΄दर सुलझाया जाये और लड़के-लड़कियो΄ की समस्याओ΄ पर विशेष ध्यान दिया जा सके। इन एएफएचसी क्लीनिक्स के जरिये लड़कियों की माहवारी स्वच्छता और प्रजनन से जुड़े मुद्दों जैसे कि गर्भधारण वगैरह की भी जानकारी देने का लक्ष्य रखा गया है।
हेल्थ क्लीनिक्स में जाने के लिए प्रेरित करना चाहिये
किशोरों की समस्याओं को सुलझाने के लिए ये यह अकेला कार्यक्रम देश में चल रहा है पर कई तरह के सर्वेज में ये सामने आया है कि बहुत कम लड़के-लड़कियां ही इस स्कीम के बारे में जानते हैं। समाज बदला है और लोग अब सेक्स से जुड़े मुद्दों पर उतने संकुचित विचार नहीं रखते जितना कभी पहले रखते थे। ऐसे में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के जरिये चलाये जा रहे हेल्थ क्लीनिक्स में जाने के लिए हमको लड़के-लड़कियों को प्रेरित करना चाहिये। इसके तहत पीयर एजुकेटर और फ्रंटलाइन वर्कर्स की व्यवस्था है।