लखनऊ। प्रदेश में कुपोषण दूर करने के लिए 8 मार्च से पोषण पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इसी क्रम में 7वें दिन जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर रेसिपी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसके तहत पोषाहार में पालक व मेथी मिलाकर मठरी, कचौरी, पोषाहार से लड्डू बर्फी व हलवा चने व गुड से बने व्यंजन बनाकर प्रदर्शित किए गए।
व्यंजनों के महत्व के बारे में बताया
इसके साथ ही साथ हरी सब्जियों जैसे पालक, बथुआ, मेथी, सहजन, दूध व दूध से बने पदार्थ, फलों आदि का भी प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा केंद्र पर गर्भवती महिलाओं, धात्री महिलाओं व छोटे बच्चों कि माताओं को इन व्यंजनों के महत्व के बारे में बताया कि इससे पोषाहार स्वादिष्ट हो जाता है और पौष्टिक भी। हरे साग के सेवन से शरीर में आयरन की कमी नहीं होती है और आयरन कि गोलियों को पानी के साथ लेने के बजाय नींबू पानी, आंवला व संतरे के साथ करना चाहिए ताकि आयरन का अवशोषण अधिक हो।
गर्भवती नियमित रूप से करें सेवन
पोषण विशेषज्ञ रूपाली ने बताया कि पोषाहार के सेवन से शरीर में जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है उसकी पूर्ति होती है, जो की गर्भवती, धात्री महिलाओं व बच्चों के लिए बहुत ही आवश्यक है। जब हम इसमें अन्य कोई खाद्य पदार्थ जैसे पालक, बथुआ, मेवा या घी मिलाकर कोई व्यंजन बनाते हैं तो एक पोषाहार और स्वादिष्ट हो जाता है, खाने में रुचिकर होता है और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि इसमें पोषक तत्वों में वृद्धि हो जाती है। अत: गर्भवती, धात्री महिलाओं व बच्चों को इसका सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।