लखनऊ। उत्तर प्रदेश में खसरा और रूबेला टीकाकरण अभियान 24 सितम्बर से शुरू किया जाएगा। यह टीका सुरक्षित व प्रभावी होने के साथ-साथ सरकार द्वारा मुफ्त उपलब्ध कराया जायेगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस अभियान की घोषणा करते हुए अन्य प्रदेशों की सूची भी जारी की। इसमें गुजरात में 16 जुलाई, झारखण्ड में 26 जुलाई, असम में 31 जुलाई, छत्तीसगढ़ में 6 अगस्त, दिल्ली में अगस्त माह, जम्मू-कश्मीर में सितम्बर व अक्टूबर में, त्रिपुरा में 5 सितम्बर, नागालैंड में 3 अक्टूबर, मेघालय में अक्टूबर माह में, महाराष्ट्र में 14 नवम्बर व बिहार में 15 नवम्बर से टीकाकरण किया जायेगा।
महिलाओं में गर्भपात की संभावना
अब तक एमआर का टीका 9.20 करोड़ बच्चों को 20 राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों में लगाया जा चुका है। रुबेला एक तेजी से फैलने वाली बीमारी है जिसके कारण गर्भवती महिलाओं में गर्भपात की संभावना होती है। वैसे तो रुबेला से हल्का बुखार और रैश होती है लेकिन अगर गर्भवती महिलाओं में यह बीमारी हो तो बच्चा दिव्यांग पैदा हो सकता है। इस स्थिति को congenital rubella syndrome ¼CRS) कहते हैं, ऐसे बच्चे कान और आंख से दिव्यांग होते हैं या फिर दिमागी तौर पर कमजोर, कई बच्चों में यह मधुमेह का कारण भी बन सकता है और इन सबके लिए उम्र भर दवाई लेनी पड़ती है।
इंसानों से ही फैलता है वायरस
इस बीमारी का डर सबसे ज्यादा उन देशों में होता है जहां बच्चों और महिलाओं में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है क्योंकि उनका टीकाकरण नहीं हुआ होता है। रुबेला हवा से फैलता है और जब प्रभावित लोग खांसते और छींकते हैं तो यह उस व्यक्ति से दूसरे में फैल जाता है, यह वायरस सिर्फ इंसानों से ही फैलता है। डॉ एपी चतुर्वेदी, राज्य टीकाकरण अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि खसरे के टीकाकरण के लिए अभी तक 9 माह पर एम-1 और 16 माह पर एम-2 टीका लगता है। लेकिन सितम्बर से खसरे का टीका रूबेला के टीके के साथ लगाया जाएगा और 9 माह से ऊपर और 15 साल से कम उम्र के बच्चों को 2 बार यह टीका दिया जाएगा। जिन बच्चों ने पहले खसरा का टीका लगवाया है वह इस टीके को दोबारा लगवा सकते हैं।
ये बताते हैं आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया भर में 2014 में 1.15 लाख बच्चे खसरे से मरे थे और लगभग एक लाख बच्चे सीआरएस से ग्रसित थे। भारत में 2005 में सीआरएस से ग्रसित केवल 238 बच्चे थे जो 2014 में बढ़कर 4,146 हुए। इन बढ़ते हुए आंकड़ों को देखते हुए सरकार ने measles – rubella वैक्सीन टीकाकरण अभियान में शामिल करने का फैसला किया है । भारत में अब भी 38 हजार के करीब बच्चे खसरे से जुड़े हुए कारणों से हर साल मरते हैं। जिन बच्चों को खसरा होता है उनकी प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है और वह बार-बार दस्त और निमोनिया जैसी बीमारियों का शिकार होते हैं। इन बच्चों की उम्र अमूमन 5 साल से कम होती है।