लखनऊ। खसरा बीमारी से लडऩे में लखनऊ मंडल का उन्नाव जिला आगे रहा है। यहां सबसे कम मरीज मिले हैं। यूपीएचएमआईएस के अनुसार लखनऊ में 131, लखीमपुर खीरी में 70, सीतापुर में 62, रायबरेली में 37, हरदोई में 33 और उन्नाव में मात्र 25 मरीज मिले हैं।
एचएमआईएस के ताजा सर्वेक्षण की रिपोर्ट मानें तो उत्तर प्रदेश में इस वर्ष कुल 4789 मरीज पाये गए। इसमें से 4758 मरीज सरकारी अस्पतालों में मिले जबकि 31 निजी अस्पतालों में पाये गए। वहीं ग्रामीण इलाकों में मरीजों की संख्या 4181 है जबकि शहरी क्षेत्रों में 608 मरीज पाये गए हैं।
सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार कुशीनगर, कन्नौज में मात्र एक-एक मरीज मिला जबकि बिजनौर, फरूखाबाद, देवरिया, मैनपुरी, मथुरा और रामपुर जिले में अधिकतम 5 मरीज पाये गए। वहीं कानपुर नगर में 8, संतरविदास नगर में 6 और सुलतानपुर में 6 मरीज मिले। वहीं चंदौली जिले की स्थिति काफी दयनीय है सर्वेक्षण के दौरान यहां के गांवों में कुल 641 मरीज पाये गए। हालांकि इस जनपद के शहरी इलाके में एक भी मरीज नहीं मिला।
यह कहते हैं चिकित्सक
सीएचसी इंदिरा नगर लखनऊ की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शुचि कुमार ने बताया कि खसरे से बचने के लिए दो खुराक टीका लगाया जाता है। दोनों ही टीके लगवाने जरूरी हैं। दो टीकों की विकल्प में खसरे का नया टीका एमआर यानी खसरा और रूबेला वैक्सीन आता है। हालांकि प्रदेश में अभी कुछ जिलों में ही एमआर की नि:शुल्क सुविधा नहीं है।
डॉ. राम मनोहर चिकित्सालय के आयुष चिकित्सक एसके पाण्डेय ने बताया कि खसरा रोगी का शरीर बहुत तेजी से कमजोर होता है और उसके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी शीघ्र घटने लगती है। भोजन में तेल, घी, पनीर, चटनी, अचार और मसाले आदि का उपयोग कतई नहीं करना चाहिए। भोजन में दलिया, सादी खिचड़ी आदि खाना चाहिए। उचित इलाज नहीं होने पर रोगी का पहले फेफड़ा फिर दिल प्रभावित होता है। इलाज में और देरी होने पर लीवर और किडनी भी प्रभावित होते हैं। रोग के प्रति लापरवाही बरतने पर रोगी की मौत हो सकती है।
बीमारी पहचानें
खसरा एक अत्यंत संक्रामक बीमारी है। संक्रमित मरीज के सांस के जरिए मीजल्स वायरस दूसरों तक पहुचने पर यह बीमारी फैलती है। इससे ग्रसित रोगी का शुरू में गला खराब होता फिर उसे बुखार आता है। यह बीमारी खास तौर 9 माह से 10 वर्ष तक के बच्चों में सर्वाधिक होती है। खसरे में पहले चार दिन तक काफी तेज बुखार आता है। इसका तापमान 104 डिग्री तक पहुंच जाता है। रोगी की आंखों में लाली, सूजन और खुजली होती है। रोगी के गले में दर्द, खांसी, जुकाम, नाक से पानी बहता है और तेज बुखार आता है। साथ ही शरीर में थकान लगती है। पूरे शरीर पर दाने निकल आते हैं। दाने नुकीले होते हैं और उनका आकार फोड़े जैसा होता है। यानी दाने के ऊपरी हिस्से में मवाद भरी होती और नीचे की ओर लाली होती है।
राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार खसरे से बचने के लिए दो खुराक टीका लगाया जाता है। पहली खुराक 9 से 12 महीने की उम्र के बीच दी जानी चाहिए। इसके बाद 16-24 महीने की उम्र के बीच दूसरी खुराक डीपीटी यानी डिप्थेरिया, पर्टूसिंस और टेटनस बूस्टर की खुराक के साथ दी जानी चाहिए।