लोहिया संस्थान में सर्वाइकल कैंसर पर चार दिवसीय कार्यशाला आयोजित, देश में प्रत्येक वर्ष सवा लाख को होती है बीमारी, इसमें 30 प्रतिशत यूपी की
लखनऊ। देश में सर्वाइकल कैंसर भयावह रूप लेता रहा जा रहा है। इसने बड़ी सं या में महिलाओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। खासबात यह कि अब यह बीमारी शहरों की अपेक्षा ग्रामीण अंचल में अधिक फैल रही है। ऐसा पाया गया है कि साफ-सफाई न होना इसकी मुख्य वजह है। ऐसे में लोगों को सफाई के साथ इस बीमारी के प्रति जागरूक करना आवश्यक है। हालांकि अब चिकित्सा विज्ञान में बेहतरी की वजह से नयी तकनीक के माध्यम से इसका इलाज सरल हो हुआ है। यह कहना है कि केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट का। वह गुरुवार को गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
दअरसल, संस्थान में सर्वाइकल कैंसर के इलाज के प्रशिक्षण को लेकर चार दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। ईएसटीआरओ व एआरओआई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम के पहले दिन प्रो. भट्ट ने कहा कि महिलाओं में सबसे सबसे अधिक सर्वाइकल कैंसर हो रहा है। देश में हर साल करीब सवा लाख महिलाएं इसकी की चपेट में आ रही हें। इनमें अकेले 30 प्रतिशत महिलाएं तो यूपी की हैं। इसलिए यह बेहद चिंताजनक है। लोहिया संस्थान में रेडियोथेरेपी विभागाध्यक्ष डा. मधूप रस्तोगी ने बताया कि इस कैंसर में 80 प्रतिशत मरीजों का इलाज रेडियोथेरेपी से होता है। 20 प्रतिशत मरीजों में ऑपरेशन की आवश्यकता होती है। इसमें सर्वाइकल के भीतरी व बाहरी भाग की रेडियोथेरेपी की जाती है। वह बोले पहले एक्सरे देखकर रेडियोथेरेपी दी जाती थी लेकिन चिकित्सा विज्ञान की प्रगति के चलते अब सीटी स्कैन देखकर कैंसर सेल का रेडिएशन से इलाज किया जाता है। लोहिया संस्थान के डा. अजित गांधी ने बताया कि एमआरआई गाइडेड रेडियोथेरेपी से इलाज में नई क्रांति आई है। इससे कैंसर सेल पर सटीक वार करना आसान हो गया है। पहले एक्सरे व सीटी स्कैन देखकर इलाज किया जाता था।
उसके अपने दुष्परिणाम थे। पेट खराब होना, पेशाब में जलन आदि तकलीफ होती थी। अब एमआरआई में देखकर रेडिएशन की डोज दी जा सकती है। इससे रेडिएशन का असर स्वस्थ्य कोशिकाओं पर कम पड़ता है। लोहिया संस्थान में एमआरआई गाइडेड ब्रेकीथेरेपी से महिलाओं को इलाज मुहैया कराया जा रहा है। तीन महीने पहले यह सुविधा शुरू की गई है। चकगजरिया स्थित कैंसर संस्थान में रेडियोथेरेपी विभागाध्यक्ष डा. शरद सिंह ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर से महिलाओं को बचाने की दिशा में अहम कदम उठाने की आवश्यकता है। नौ से 14 साल की बच्चियों को एचपीवी वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन लगवानी चाहिए। पैपस्मीयर की जांच की सुविधा सभी महिला अस्पतालों में की जानी चाहिए। समय पर बीमारी की पहचान से इलाज आसान हो जाता है। बताया गया कि चार दिवसीय इस कार्यशाला में देश व एशिया के प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। इसमें इन प्रतिभागियों को आधुनिकतम तकनीक के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा।