लखनऊ। चकगंजरिया स्थित कैंसर संस्थान में अब ओपीडी और मरीजों की भर्ती एक साथ शुरू होगी। इसके लिए चिकित्सकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। कैंसर संस्थान को 12 चिकित्सक मिले हैं। इसमें छह डॉक्टरों ने संस्थान ज्वाइन कर लिया है। जल्द ही बाकी छह और डॉक्टर स्थान में ज्वाइन करेंगे।
भर्ती प्रक्रिया शुरू
कैंसर संस्थान में अभी तक 12 डॉक्टर तैनात थे। 12 और डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके लिए डॉक्टरों के साक्षात्कार भी हो गए थे। बीते दिनों नतीजे घोषित कर दिए गए। संस्थान में अब कैंसर पीडि़त बच्चों को इलाज मिलेगा। इसके लिए डॉ. गितिका पंत ने नौकरी ज्वाइन कर ली है। डॉ. गितिका कैंसर पीडि़त बच्चों का इलाज कराने में माहिर हैं। सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग में डॉ. अंकुर वर्मा और डॉ. दुर्गेश कुमार आ गए हैं। इससे संस्थान में ऑपरेशन की सुविधा शुरू होगी। कई अन्य विभागों में डॉक्टर आ गए हैं।
854 करोड़ रुपये का पूरा प्रोजेक्ट
एक छत के नीचे सभी तरह के कैंसर का इलाज मिलने की राह आसान हो गई है। करीब 854 करोड़ रुपये का पूरा प्रोजेक्ट है। पहले चरण के तहत 550 करोड़ रुपये का बजट कार्यदायी संस्था यूपी आरएनएनएन को जारी किया जा चुका है। भवन का काफी हिस्सा पूरा हो चुका है। संस्थान में मरीजों को इलाज शुरू कराने की कवायद आखिरी दौर में चल रही है।
ली-नैक खरीदने की चल रही प्रक्रिया
प्रदेश सरकार ने कैंसर मरीजों का दर्द दूर करने के लिए संस्थान को 248 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है। बजट मिलने से भवनों के निर्माण में तेजी आई हैं। कैंसर मरीजों की सिकाई के लिए दो ली-नैक खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी आदि जांच की सुविधा शुरू करने की प्रक्रिया चालू कर दी गई है। संस्थान में कुल 24 ऑपरेशन थिएटर बनाए जा रहे हैं। दो पूरी तरह से बनकर तैयार हैं। डे-केयर वार्ड बनाया जा रहा है। इसमें 56 बेड का प्रावधान है। कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी के बाद मरीजों की छुट्टी कर दी जाएगी।
इलाज में देरी कैंसर मरीजों के लिए घातक
अभी कैंसर मरीजों का सबसे ज्यादा दबाव लोहिया संस्थान, पीजीआई और केजीएमयू पर है। ऑपरेशन से लेकर सिकाई तक के लिए मरीजों को दो से चार महीने तक का इंतजार करना पड़ रहा है। संस्थान में इलाज शुरू होने से मरीजों का इंतजार खत्म होगा। क्योंकि संस्थान में नए 12 डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। पहले से 13 डॉक्टर काम कर रहे हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि संस्थान के चालू होने से कैंसर मरीजों का दर्द कम होगा। क्योंकि इलाज में देरी कैंसर मरीजों के लिए घातक है। 80 प्रतिशत कैंसर पीडि़त तीसरी व चौथी अवस्था में अस्पताल आ रहे हैं। केवल 20 प्रतिशत मरीज ही पहली अवस्था में अस्पताल आ रहे हैं। इलाज में देरी से मर्ज और गंभीर हो जाता है।