राज्यपाल होंगे कुलाधिपति और मुख्य सचिव सभापति
लखनऊ। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान को विश्वविद्यालय बनाने के लिए सरकार ने कदम बढ़ाया है। इसके लिए कैबिनेट से हरी झंडी भी मिल गई है। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान अब एसजीपीजीआई एक्ट के तहत विश्वविद्यालय बनेगा। ऐसे में जहां संस्थान में अस्पताल के विलय का रास्ता साफ हो जाएगा वहीं मेडिल छात्रों को खुद की डिग्री बांटेगा। राज्यपाल इसके कुलाधिपति और मुख्य सचिव सभापति होंगे। इसके लिए संशोधित विधेयक आगामी विधानमंडल सत्र में पारित कराकर राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
यह हुआ था
कैबिनेट मंत्री और सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि कैबिनेट ने 22 जुलाई 2014 को डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय और डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान का आपस में विलय करते हुए एक संयुक्त चिकित्सा संस्थान बनाने का फैसला किया था। इसके लिए डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज विधेयक 2015 के मसौदे को 14 अगस्त, 2015 में कैबिनेट की मंजूरी के बाद दोनों सदनों से पारित कराया गया था। इस विधेयक को राज्यपाल ने मंजूरी न देकर इसमें कुछ संशोधनों की बात कही थी और इसे विधानमंडल को पुनर्विचार के लिए भेज दिया था।
अब संस्थान का खुद का एग्जामिनेशन सेल
राज्यपाल के संदेश के आधार पर बिल में एसजीपीजीआई एक्ट 1983 की व्यवस्था के अनुसार संशोधन करने का फैसला किया गया है। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में एमबीबीएस, एमडी, डीएम व एमसीएच कोर्स संंचालित हैं। यूजी, पीजी व सुपर स्पेशियलिटी संस्थान ने यह सभी कोर्स अभी केजीएमयू से संबंध है। संस्थान को हर साल इसके लिए केजीएमयू को लाखों रुपए का शुल्क अदा करना होता था। ऐसे में इन छात्रों की परीक्षा से लेकर डिग्री तक संस्थान ही जारी कर सकेगा। अब संस्थान का खुद का एग्जामिनेशन सेल होगा।
संस्थान के निदेशक ने यह कहा
इस मामले को लेकर लोहिया संस्थान के निदेशक डॉ. दीपक मालवीय ने कहा कि सरकार के इस फैसले से चिकित्सा क्षेत्र में काफी बदलाव होगा। मरीजों को सुपर स्पेशियलिटी का ज्यादा से ज्यादा फायदा दिया जा सकेगा।