लखनऊ। राजधानी के लखनऊ विश्वविद्यालय की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था का खामियाजा विवि में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं के साथ ही कर्मचारियोंं व उनके परिजनोंं को भी भुगतना पड़ रहा है। हद तो तब हो गई जब विवि की डिस्पेंसरी में विगत छह महीनों से जुकाम, खांसी, सरदर्द व बुखार में प्रयुक्त की जाने वाली रेग्युलर मेडिसिन पैरासिटामॉल तक उपलब्ध नहीं है।
डीन ने यह कहा
वहीं इस मामले पर लखनऊ विश्वविद्यालय के डीन राजकुमार सिंह ने बताया कि फाइनेंनसियल की समस्या है हमें कुछ दिन पहले ही पता चला है कि डिसपेंसरी में दवाएं नहीं है। हम लोग जेनेरिक दवाएं डिस्पेन्सरी में लाना चाहते हैं। जल्द ही दवा की समस्या दूर हो जाएगी।
डाक्टर के नाम पर रिटायर्ड डाक्टर बीबी मिश्रा
बतातें चलें कि लविवि मेंं लगभग 30,000 से अधिक छात्र व छात्राएं शिक्षा ग्रहण करती हैं जिनमें छात्राओं की संख्या लगभग 15000 है। इन सबके बावजूद डाक्टर के नाम पर एक रिटायर्ड शासन का कृपा पात्र डाक्टर बीबी मिश्रा हैं जो अपना समय विवि को न देकर शासन के अधिकारियों की परिक्रमा मेंं ही गुजारते हैं। महिला डाक्टर न होने के कारण छात्राओं को भी समस्या आती है। विगत दिनोंं एक छात्रा की समय से इलाज न मिल पाने के कारण मौत भी हो चुकी है, बावजूद इसके विवि की डिस्पेंसरी बदहाली बरकरार है।