डेस्क। आइए जानते हैं कि क्या वाकई फिश ऑयल एक बेहतर चीज हैं या सिर्फ एक मिथक है। एक अध्ययन में कहा गया है कि फिश ऑयल मसल्स प्रोटीन एनाबॉलिक को बढ़ाता है। इसके अलावा ईपीए और डीएचए भी कार्डियक आउटपुट और स्ट्रोक वॉल्यूम बढ़ाने में मदद करते हैं जिससे ब्लड फ्लो में सुधार होता है और आपकी परफॉरमेंस में सुधार होता है।
फिश ऑयल को आजकल फिटनेस के रूप में जोड़कर देखा जाता है। बॉडी बिल्डर से सामान्य लोगों तक फिश ऑयल का बढ़े स्तर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। फिश ऑयल केवल बॉडी बिल्डर के लिए नहीं है अधिकतर लोग ऐसा मानते हैं कि फिश ऑयल केवल जिम जाने वाले या वेट ट्रेनिंग करने वालों के लिए होता है, जबकि यह सच नहीं है। कोई भी ऐसा स्वस्थ व्यक्ति, जिसे आवश्यक फैटी एसिड नहीं मिल पाता है, वो फिश ऑयल सप्लीमेंट ले सकता है। फिश ऑयल ईकोसैपेंटेनाओनिक एसिड (ईपीए), डोकोसेहेक्साइनाइक एसिड (डीएचए) और अन्य अनिवार्य ओमेगा 3 फैटी एसिड का संयोजन है। इसे फिश ऑयल कहा जाता है क्योंकि यह तेल मछली के ऊतकों से प्राप्त होता है।
ये आवश्यक फैटी एसिड हैं क्योंकि ये आपके शरीर के भीतर नहीं बन सकते हैं। हालांकि फ्लैक्स सीड्स की तरह फैटी एसिड के अन्य स्रोत हैं लेकिन फिश ऑयल को सबसे शक्तिशाली में माना जाता है। फिश ऑयल से मसल्स कैसे बनती हैं ईपीए और डीएचए दोनों सेल सिंथेसिस दर में वृद्धि करके और पुरानी सेल्स की गिरावट को कम करके दुबले उत्तकों की दर को बढ़ाते हैं जिससे शरीर को सकारात्मक सेल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। ये इंसुलिन फंक्शन और फैटी एसिड मेटाबोलिज्म को भी सपोर्ट करते हैं।