गर्भावस्था में मां और बच्चे दोनों का ख्याल रखना जरूरी है। बात आती है कि मां को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। आज हम बात करेंगे देसी घी की। प्रेग्नेंसी में देसी घी खाने को लेकर भ्रम रहता है। लेकिन आयुर्वेद विशेषज्ञ के अनुसार 1 से 8वें माह तक रोज 25 ग्राम तक घी खा सकते हैं। वहीं किसी रोग से पीडि़त न होने पर 9वें माह में प्रतिदिन 75 ग्राम घी खा सकती है। कोई दिक्कत हो तो घी के बजाय दूध व इससे बनी चीजें व सूखे मेवे खाएं।
डिलवरी के बाद
सामान्य प्रसव में सवा माह तक पीपली, गोंद, सौंठ, कमरकस, अजवायन आदि औषधियों के साथ 2-3 किलो तक गाय का देसी घी ले सकते हैं। कोई बीमारी है तो डॉक्टर से सलाह लें।
सावधानी
घी खाने से वजन बढऩे की समस्या होने के साथ ही गर्भाशय भी भारी हो सकता है। इसलिए इसे आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों के साथ लें। जिन गर्भवती को एसिडिटी, एलर्जी, अल्सर की समस्या है वे घी की मात्रा विशेषज्ञ की सलाह से लें।
आयुर्वेदिक तेल से जोड़दर्द होता दूर
40-50 वर्ष की उम्र के बाद अक्सर जोड़ों में दर्द, जकडऩ व सूजन की भी समस्या होती है। इस वायु अवस्था के कारण उठने-बैठने या सीढिय़ां चढ़ऩे में परेशानी होती है। आयुर्वेद विशेषज्ञ के अनुसार रात में सोते समय जोड़ों पर सूती कपड़ा लपेटकर सोने से जोड़ों में गर्मी बनी रहेगी। इसके अलावा घर पर आयुर्वेदिक तेल बना लें।
ऐसा भी करेंं
कोई भी खाने वाले तेल (सरसों, सोयाबीन या नारियल) में अजवायन, नमक, लहसुन को गर्म कर लें। थोड़ा ठंडा होने पर इसमें थोड़ा कपूर मिलाकर ढक दें। सुबह-शाम इससे जोड़ों पर मालिश करें। वायुवर्धक चीजें जैसे ग्वार की फली, भिंडी, मटर, आलू, चना, राजमा, दाल आदि खाने से बचें। अजवायन, हींग व बड़ी इलायची मिलाकर बने पाउडर को भोजन के बाद लें।