लखनऊ। केजीएमयू में मरीजों को स्ट्रेचर या व्हीलचेयर ना मिलना कोई नई बात नहीं है। यहां मरीजों को जांच के नाम पर एक जगह से दूसरी जगह दौड़ाया जा रहा है। मजबूरन तीमारदार अपने मरीजों को जैसे-तेसे कर खुद ही लादकर भटकते हैं। बुधवार को भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। एक महिला अपने पति को पीठ पर लादकर ट्रामा से लेकर ओपीडी तक धक्के खा रही थी। अंत में हुआ यह कि बिना इलाज वह वापस लौट गई।
यह हुआ था
स्वास्थ्य विभाग मरीजों के बेहतर इलाज के लिए भले ही नए-नए ठोस कदम क्यों ना उठा रही हो लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। इसी तरह प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के मरीज को भी केजीएमयू में इलाज के लिए भटकना पड़ा। सुलतानपुर धनहुआ निवासी पन्ना लाल (42) को दो हफ्ते से सांस लेने में तकलीफ है। वहां के जिला अस्पताल में मरीज को खून की उल्टी होने लगी। शौच के साथ भी खून भी आने लगा। कमजोरी व खून की कमी से मरीज बेहाल हो गया। तब डॉक्टरों ने उसे केजीएमयू रेफर कर दिया। गंभीर हालत में परिजन उसे लेकर सोमवार को ट्रॉमा सेंटर पहुंचे।
भर्ती नहीं किया, रैन बसेरे में गुजारी रात
सोमवार को करीब 12 बजे पत्नी मीरा अपने पति पन्ना लाल को लेकर कैजुअल्टी में पहुंची। मरीज की गंभीर हालत जानने के बावजूद डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती नहीं किया। इस पर मरीज की हालत बिगड़ती गई। आनन-फानन में डॉक्टरों ने केवल जांचों के लिए कहा। इलाज तब भी नहीं शुरू किया। किसी तरह परिजनों ने एक्सरे, सीटी स्कैन समेत दूसरी जांचें कराईं। रिपोर्ट देखने के बाद मरीज को ओपीडी में दिखाने की सलाह दी गई। परिजन मरीज की हालत का हवाला देकर भर्ती करने के लिए गिड़गिड़ाते रहे लेकिन डॉक्टर नहीं पसीजे। रैन बसेरे में पत्नी उसे लेकर रात भर पड़ी रही।
रात में मरीज की हालत और बिगड़ गई और खून की उल्टियां हुईं। उल्टी के बाद मरीज बेहोश हो गया। पत्नी ने डॉक्टरों को पति की हालत बिगडऩे का हवाला दिया पर, तब भी डॉक्टर नहीं पसीजे। मरीज को ओपीडी में दिखाने की सलाह दी। ओपीडी में परिवारीजन मरीज को लेकर भटकते रहे। पीआरओ तक ने मरीज को सही डॉक्टर के पास नहीं भेजा। नतीजतन मंगलवार को भी इलाज नहीं मिला। परिवारीजन फिर से ट्रॉमा के बाहर इंतजार करते रहे।
मजबूरन गांव लौटना पड़ रहा
बुधवार सुबह मरीज की हालत और बिगड़ गई। वह चलने-फिरने में लाचार हो गया। पत्नी फिर स्ट्रेचर मांगने पहुंची। लेकिन कर्मचारियों ने स्ट्रेचर देने से मनाकर दिया। नतीजतन पत्नी मीरा अपने पति पन्ना लाल को पीठ पर लादकर आधा किलोमीटर दूर ओपीडी में गईं। यहां कर्मचारियों ने फिर खदेड़ दिया। कर्मचारियों के बर्ताव से पत्नी मीरा रोने लगीं। रोते-बिलखते रिश्तेदार बृजलाल ने बताया कि प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने की स्थिति नहीं है। ऐसे में मजबूरन गांव लौटना पड़ रहा है।