लखनऊ। केजीएमयू में बोन ग्रॉफ्टिंग के लिए नई डेंटीन मशीन आ चुकी है। अब जबड़े की हड्डी बनाने के लिए मरीज की छाती या जांघ से हड्डी को निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अब मरीज के टूटे हुए दांतों से ही जबड़े की हड्डी बनाई जा सकेगी। केजीएमयू में इस नई विधि के आ जाने से मरीजों को और बेहतर इलाज दिया जाएगा।
ऐसे बनेगा जबड़ा
केजीएमयू में आ चुकी डेंटीन ग्राइंडर मशीन से करीब 50 हजार रुपए के अंदर ही सस्ते में इलाज हो सकेगा। मशीन के जरिए सोमवार से मरीजों का इलाज होना है। दंत संकाय के डॉ. लक्ष्य कुमार ने बताया कि मरीज के शरीर में दो जगह चीरा लगाने के झंझट से निजात मिलेगी। उन्होंने बताया कि अब मरीज के टूटे या संस्थान में उखाड़े गए दांतों को व्यर्थ नहीं फेंका जाएगा। इन दांतों को विसंक्रमित करके ग्राइंडर में पीसा जाएगा। पिसने के बाद उसके चूरे में मेडिकल सॉल्यूशन या कैमिकल मिलाया जाएगा। फिर लुगदी आकार में उसे प्लेट के रूप में जबड़े में लगाया जाएगा। इसमें उन मरीजों की भी मदद ली जाएगी, जिनके दांत पर दांत निकले रहते हैं जो कि उस व्यक्ति के कोई काम भी नहीं आता है।