लखनऊ। केजीएमयू की जांच में यूरोपियन वायरस का पता चला है। यूरोप के वायरस वेस्ट नाइल की चपेट में अब तक दो मरीज आ चुके हैं। केजीएमयू प्रशासन ने इसकी रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को भेज दी है। इस मामले में डॉक्टरों का कहना है कि जेई व एईएस में मरीज के दिमाग में सूजन आ जाती है।
यह होता है
बुखार का प्रकोप इस कदर हो जाता है कि मरीज बेहोश हो जाता है। बुखार का असर मरीज के अंगों में पडऩे लगता है। मरीज विकलांग तक हो जाते हैं। ऐसे में इस बीमार को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग के सामने नई चुनौती है। यूरोप के खतरनाक वायरस का नाम है वेस्ट नाइल, जिसने यहां पांव पसारा है।
डॉक्टर ने यह कहा
केजीएमयू में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. शीतल वर्मा ने बताया कि वेस्ट नाइल वायरस का लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। कोई वैक्सीन अभी बाजार में नहीं आई है। इस वायरस की पहचान सीएसएफ जांच से संभव है। दो से तीन दिन के भीतर जांच पूरी होती है।
यह होता है वायरस
वेस्ट नील वायरस (डब्ल्यूएनवी) एक संक्रामक रोग है जो सबसे पहले 1999 में अमेरिका में दिखाई पड़ा था। संक्रमित मच्छर इस वायरस को फैलाते हैं। डब्ल्यूएनवी से ग्रस्त लोगों में कोई लक्षण नहीं होते हैं या मामूली लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, त्वचा के चकत्ते और सूजी हुई लिम्फ ग्रंथियां शामिल हैं। ये कुछ दिनों से कई सप्ताहों तक रह सकते हैं, और सामान्यतः अपने आप समाप्त हो जाते हैं।