लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कार्डियक वैस्कुलर थोरेसिक सर्जरी विभाग में एक दुर्लभ ऑपरेशन करते हुए विभाग के चिकित्सकों ने एक नया मुकाम हासिल किया है। इससे मरीज की जान भी बच गई। मरीज सुशीला, उम्र 35 वर्ष, लखनऊ को विभाग में Aortic valve replacement हेतु 28 अप्रैल को कार्डियोलॉजी विभाग से रेफर किया गया था। इसका ऑपरेशन एक सप्ताह पूर्व किया गया है।
हार्ट लंग मशीन
मरीज को जब 7 जून को ऑपरेशन के दौरान हार्ट लंग मशीन पर डाला गया और और उसकी ऑपरेशन शुरू किया गया तो पता चला कि मरीज को । Ascending aortic dissection नामक समस्या है। इसमें महाधमनी की तीन लेयरों में से सबसे अंदर की लेयर इंटीमा अलग हो गई थी जिसकी वजह से रक्त का प्रवाह मुख्य नस में न होकर एंटीमा और मीडिया के बीच से होने लगता है और इसकी वजह से मरीज के विभिन्न अंगों में रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है।
हाइपोथर्मिया की जरूरत
यह एक आपातकालीन समय था जहां पर मरीज को सर्कुलेटरी अरेस्ट के साथ डीप हाइपोथर्मिया की आवश्यकता थी। इसमें मरीज के शरीर के तापमान को 18 डिग्री सेल्सियस तक ले जाया जाता है। इस अवस्था में मरीज के सेल्स अपने अंदर मौजूद रक्त से ही जीवित रहते हैं।
ऐसा किया डॉक्टरों ने
सर्जरी में मरीज के वाल्व को रिपेयर करने के लिए डेकरॉन पैच का इस्तेमाल किया गया जिसकी कीमत लगभग 10 हजार होती है। जबकि इस बीमारी में प्रयोग होने वाले वैस्कुलर प्रोस्थेटिक ग्राफ्ट की कीमत करीब 1.5 लाख रुपये होती है। अत: उपरोक्त सर्जरी में कम लागत के साथ ही साथ मरीज के Aortic valve को भी बचा लिया गया। उपरोक्त शल्य क्रिया डॉ. अम्बरीश कुमार, सह-आचार्य सीवीटीएस विभाग के नेतृत्व में डॉ. शैलेन्द्र कुमार, डॉ. विकास, डॉ. अजयंद एवं निश्चेतना विभाग से डॉ. दिनेश कौशल, डॉ. अंजन, डॉ. भारतेष, डॉ. आरीफ, डॉ. अंचल एवं परफ्यूजनिस्ट मनोज श्रीवास्तव के दल द्वारा किया गया। उपरोक्त समस्या एक लाख व्यक्तियों में से किसी तीन को होती है। यह अत्यंत ही दुर्लभ केस है। इस प्रकार की सर्जरी यूपी में पहली बार की गई।
सीवीटीएस विभाग रेफर किया
शुरुआत में मरीज को लॉरी कॉर्डियोलॉजी विभाग मे श्वांस फूलने, खांसी और सीने में दर्द की समस्या के लिए लाया गया था। जहां पर इको में यह पाया गया की मरीज को वॉल्व की समस्या है इसलिए कार्डियोलॉजी विभाग से मरीज को सीवीटीएस विभाग रेफर किया गया।