लखनऊ। केजीएमयू के डॉक्टरों ने बुधवार को एक नया अध्याय लिख दिया। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग (कैंसर सर्जरी) ने आहारनली का कैंसर (इसोफेगस कैंसर) का आपरेशन कर एक नया इतिहास बना दिया है। इस ऑपरेशन से मरीज को नया जीवन दान मिला है।
गौर करने वाली बात यह है कि छाती में दूरबीन से एक ही छेद कर इस प्रकार का ऑपरेशन देश में पहली बार किया गया है। यह ऑपरेशन आन्कोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ शिवराजन के नेतृत्व में किया गया।
दो प्रकार से होता है ऑपरेशन
सीतापुर निवासी 65 वर्षीय देवीलाल (बदला हुआ नाम) का ऑपरेशन सर्जिकल आन्कोलॉजी विभाग में हुआ। डॉ. शिवराजन ने बताया कि आहार नली का कैंसर में मरीज की छाती, गर्दन और पेट का सामान्यता दो प्रकार से ऑपरेशन किया जाता है। इस ऑपरेशन को करने का पहला तरीका चीरा लगाकर होता है और दूसरा दूरबीन से मरीज की छाती में चार छेद कर ऑपरेशन किया जाता है।
इस विधि से किया ऑपरेशन
डॉ शिवराजन ने बताया कि दूरबीन से ऑपरेशन में मरीज को दर्द कम होता है और वह जल्द ही ठीक हो जाता है। इस ऑपरेशन में मरीज की छाती में चार छेद किए जाते थे लेकिन 28 मई को केजीएमयू के सर्जिकल आन्कोलॉजी विभाग द्वारा सिर्फ एक ही छेद कर सफलतापूर्वक आपरेशन किया गया। उन्होंने बताया कि इस ऐतिहासिक ऑपरेशन में विभागाध्यक्ष डॉ. अरूण चतुर्वेदी व प्रो. विजय कुमार का सहयोग था।
ये है कैंसर की मुख्य वजह
आहारनली का काम मुंह से पेट तक भोजन ले जाने का है। जब यह नली कैंसर ग्रस्त हो जाती है तो उसे इसोफेगस कैंसर कहते हैं। खाना निगलने में तकलीफ होने या फिर खाना खाते समय ठसका लगना, खांसी आना आहारनली के कैंसर की मुख्य वजह हो सकती है। इसके साथ कुछ समय बाद अगर पानी निगलने में भी तकलीफ हो तो तुरंत किसी विशेषज्ञ से जांच करवाएं। उन्होंने बताया कि यह कैंसर 45 से 50 साल उम्र के लोगों में अधिक पाया जाता है। एंडोस्कोपी के माध्यम से आहारनली के कैंसर की पहचान संभव है।
ये है डॉक्टरों की टीम
आपरेशन करने वाली टीम में सीनियर रेजीडेंट डॉ. सत्यव्रतदास, डॉ. शशांक, डॉ. पुनीत, डॉ. अजहर, एनेस्थीसियाटीम में डॉ. दिनेश सिंह एवं डॉ. शशांक तथा नर्सिंग स्टॉफ में सिस्टर कृष्णा, उत्तम सिंह व सुनील मौजूद थे।