लखनऊ। केजीएमयू के Pulmonary and Critical Care Medicine विभाग के डॉक्टरों ने एक युवक का ऑपरेशन कर नई जिंदगी दी है। डॉक्टर ने बताया है कि मरीज की सांस की नली के रास्ते फेफड़े में खून का थक्का जम गया था। इससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। 16 जुलाई को मरीज का डॉक्टरों की टीम ने एक घंटे का ऑपरेशन कर करीब 10 सेमी का खून का थक्का बाहर निकाला। डॉक्टर वेद प्रकाश ने बताया कि इस तरह का यह पहला केस सामने आया है जिसे सफल किया गया।
यह हुई थी घटना
जानकारी के अनुसार 25 जून को एक होटल में ड्यूटी खत्म करने के बाद रात करीब तीन बजे संदीप कटारिया अपने घर विनम्र खण्ड जा रहे थे। जयपुरिया स्कूल के पास विरीत दिशा से आ रहा अज्ञात वाहन ने उन्हें ठोकर मार दी। इस घटना में संदीप बुरी तरह से घायल हो गए। डायल 100 की मदद से उन्हें राम मनोहर लोहिया में भर्ती कराया गया था। जहां से उन्हें तत्काल ही केजीएमयू रेफर कर दिया गया।
फेफड़े में खून का थक्का
डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि मरीज को पहले न्यूरो सर्जरी विभाग में भर्ती के बाद हमारे विभाग में लाया गया था। उस समय मरीज बेहोश था। मरीज को कुछ दिनों तक वेंटीलेटर पर ही इलाज किया जा रहा था। चोट की वजह से फेफड़े में खून का थक्का जम गया था। उसे लगातार ब्लीडिंग हो रही थी। सांस की नली चोक हो गई थी। थक्का को हटाने के लिए 6 बार ब्रोनस्कोपी की गई।
मरीज की हालत में सुधार
16 जुलाई को चोकिंग की वजह से सांस लेने में मरीज को दिक्कत हो रही थी। इसके बाद तुरंत ही नाक, कान, गला और ईएनटी के डॉक्टरों की संयुक्त टीम तैयार की गई और ऑपरेशन किया गया। एक घंटे के ऑपरेशन के बाद करीब 10 सेमी का ब्लड क्लॉट निकाला गया। मरीज की हालत में सुधार आ गया है। डॉक्टर वेद ने बताया कि अब जल्द ही उसे यहां से छुट्टी दे दी जाएगी।