लखनऊ। साझा समीक्षा मिशन रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कंगारू मदर केयर विधि (केएमसी) पर स्वास्थ्य विभाग का काम सराहनीय रहा है। प्रदेश के चार जनपदों के 13 सीएचसी और 42 जिला महिला चिकित्सालयों में केएमसी इस विधि पर बेहतरीन काम कर रही है। हाल में संजय गांधी स्नात्कोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान हुए सेमिनार में रायबरेली के डलमऊ सीएचसी को बेहतरीन केएमसी के लिए पुरस्कृत भी किया था।
न कोई दवा की आवश्यकता, न ही मशीन की
एनजीओ कम्युनिटी एम्पावरमेंट के प्रमुख डॉक्टर विश्वजीत कुमार केएमसी पर ढाई साल से काम कर रहे हैं। उनके अनुसार बच्चों की मृत्यु दर कम करने में केएमसी काफी सहायक साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष सूबे में दो लाख बच्चों की आधी संख्या मौत का शिकार हो रही है, जो कि केएमसी से बचाई जा सकती है। इस विधि को अपनाने के लिए न तो कोई दवा की आवश्यकता होती है न ही मशीन की।
कंगारू विधि के बारे में जानें
कंगारू की तरह अपने बच्चे को अपनी स्किन से लगाकर रखने की वजह से ही इसे कंगारू केयर कहा जाता है। इस विधि में समय से पहले हुए नवजात शिशु को प्रतिदिन कुछ घंटों तक मां आपने सीने से लगाकर रखती है। विशेषज्ञों का मानना है कि त्वचा के संपर्क से शिशु के विकास में सहायता मिलती है, बच्चे का वजन बढ़ता है और उसे सांस लेने में आसानी होती है। यह तकनीक उन इलाकों में बेहद कारगर साबित हुई है जहां इनक्यूबेटर, समय से पूर्व जन्मे शिशु को जिंदा रखने की मशीन की सुविधा मौजूद नहीं होती।