लखनऊ। आयोडीन पर हमारे शरीर का स्वास्थ्य निर्भर करता है। इतना ही नहीं इसकी कमी से महिलाओं में बांझपन जैसी समस्या पैदा हो सकती है। इसके अलावा और भी ऐसी बीमारियां हैं जो आयोडीन की मात्रा कम होने पर पनप सकती है। आयोडीन की कमी से हाइपो थायरॉइडिज्म हो जाता है। उक्त बातें इंदिरा आई वी एफ हॉस्पिटल की आईवीएफ एक्सपर्ट डॉ. राधिका बाजपई ने बताई।
गर्भपात का सबसे प्रमुख कारण
डॉ. राधिका बाजपई ने बताया कि महिलाओं के शरीर में आयोडीन की कमी का उनके प्रजनन तंत्र की कार्यप्रणाली से सीधा संबंध है। हाइपोथायरॉइडिज्म बांझपन और गर्भपात का सबसे प्रमुख कारण है। जब थायरॉइड ग्लैंड की कार्यप्रणाली धीमी पड़ जाती है तो वह पर्याप्त मात्रा में हार्मोनों का उत्पादन नहीं कर पाती है जिससे अंडाशयों से अंडों को रिलीज करने में बाधा आती है और यही बांझपन का कारण बन जाती है। जो महिलाएं हाइपोथायरॉइडिज्म का शिकार होती हैं उनमें सेक्स में अरुचि, मासिक चक्र से संबंधित गड़बडिय़ां और गर्भधारण करने में समस्या आना देखा जाता है। हाइपोथायरॉइडिज्म से पीडि़त महिलाएं अगर गर्भधारण कर भी लेती हैं तो गर्भ का विकास प्रभावित होता है।
धूम्रपान को कहें ना
धूम्रपान थायरॉइड को सीधे तौर पर प्रभावित करता है इसके साथ ही निकोटिन शरीर से आयोडीन को अवशोषित करता है जिससे हार्मोन का स्त्रावण प्रभावित होता है। यह सबसे सामान्य कारण है जो बांझपन को बढ़ावा देता है। हमेशा ध्यान रखें कि आयोडीन का सेवन सीमित मात्रा में करना है। अधिक या कम मात्रा में आयोडीन का सेवन आयोडीन संबंधी गड़बडियों की आशंका बढ़ा देता है।
हाइपो थायरॉइडिज्म का उपचार जरूरी
डॉ. राधिका बाजपई के अनुसार बांझपन को दूर करने के लिए हाइपो थायरॉइडिज्म का उपचार महत्वपूर्ण है। अगर हाइपोथायरॉइडिज्म का उपचार करने के बाद में बांझपन की समस्या रहती है तब बांझपन के लिए दूसरे उपचार की आवश्यकता पड़ती है। गर्भवती महिलाओं को जितनी जल्दी से जल्दी हो सके, शरीर में थायरॉइड के आसामान्य स्तर का डायग्नोसिस करा लेना चाहिए। अगर डायग्नोसिस में थायरॉइड से संबंधित गड़बडिय़ों का पता चलता है तो सुरक्षित गर्भावस्था तथा प्रसव और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के लिए तुरंत उपचार कराएं।