लखनऊ। पीजीआई का लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट का नाम लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट और बाइलरी लिवर रखकर बदलने की कोशिश के बाद विवाद खड़ा हो गया है। वहीं अफसरों की अनदेखी भी नया संकट खड़ा कर दिया है। अफसरों की बात मानें तो साल 2005 में यूनिट का नाम बदलने की शिकायत हुई थी। इस मामले को लेकर शासन से जांच कराई गई थी, इस जांच में एक डॉक्टर पर यूनिट का नाम बदलकर बजट हासिल करने का आरोप साबित हुआ था। इस आरोपी डॉक्टर पर शासन द्वारा कार्रवाई का आदेश भी दिया गया लेकिन अभी तक कोई भी रिजल्ट सामने नहीं आया।
करोड़ों रुपये सरकार से लेकर खर्च किए
करीब 14 वर्ष से पीजीआई में लिवर ट्रांसप्लांट की कवायद चल रही है। अब तक इस यूनिट के लिए पीजीआई के अधिकारियों ने शासन के आला अफसरों को गलत जानकारी व यूनिट का नाम बदलकर अलग-अलग मदों में करोड़ों रुपये सरकार से लेकर खर्च भी कर दिए हैं। लेकिन नतीजा यह है कि यूनिट अब तक शुरू नहीं हो सकी। यूपी के किसी भी सरकारी चिकित्सा संस्थान में लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हो रहा है।
हुई थी जांच, सामने आया था दोषी का नाम
उप्र शासन के तत्कालीन सचिव रहे प्रशांत त्रिवेदी के निर्देश पर वर्ष 2005 में लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट की स्थापना में विलंब को लेकर मामले में जांच हुई थी। उनके निर्देश पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य प्रमुख सचिव सिद्धार्थ बेहुरा व चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के महानिदेशक डॉ. कमल साहनी ने मामले की जांच की। इसमें उन्होंने लिखा था कि लिवर ट्रांसप्लांट और हिपेटोबाइलरी डिजीज नाम से एक केंद्र या विभाग के सृजन करने की सोची समझी साजिश के तहत कार्य किया जा रहा था। पीजीआई गवर्निंग बॉडी के विपरीत यूनिट प्रभारी ने नामकरण किया। इस जांच में तत्कालीन प्रभारी को दोषी पाया गया और उनके विरुद्ध कार्रवाई करने को कहा।
यह गलत पाया गया
वहीं साल 2013 में तत्कालीन सीएमएस डॉ. पीके सिंह, जेडी प्रशासन डॉ. उत्तम सिंह, एक्जीक्यूटिव रजिस्ट्रार डॉ. केएन प्रसाद और डीन डॉ. आरएन मिश्र ने यह माना था कि गवर्निंग बॉडी में लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट का नाम बदलकर हिपेटोबाइलरी डिजीज और लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट नाम रखा गया, जो कि गलत पाया गया। उसे लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट नाम ही रहने देने को कहा गया।
यह कहा पीजीआई निदेशक ने
वहीं इस मामले पर पीजीआई निदेशक डॉ. राकेश कपूर ने कहा कि लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट के बारे में कोई भी जानकारी वर्तमान प्रभारी डॉ. राजन सक्सेना देंगे। लिवर ट्रांसप्लांट यूनिट एवं बाइलरी नाम रखा गया है। इसे गवर्निंग बॉडी में लाकर बदल दिया जाएगा।