वाराणसी। अब बिना चीरा लगाए दिल के सुराख का इलाज होगा। यह सुविधा बीएचयू सर सुन्दरलाल अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में है। प्राइवेट अस्पताल की तुलना में यह सर्जरी बीएचयू में पांच गुनी सस्ती भी है। प्राइवेट अस्पताल में खुराख बंद करने का खर्च करीब 60 से 70 हजार रुपये का है। इस संबंध में कार्डियोलॉजी विभाग में 10 जनवरी को एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इसमें नए मरीजों की पहचान करने के साथ ही सौवें मरीज के दिल के सुराख का ऑपरेशन संपादित होगा।
ऐसा करना होता है
पैर के नस के रास्ते एक नीडिल के माध्यम से डिवाइस लगाकर दिल के सुराख को बंद कर दिया जाएगा। इस विधि के पूर्व दिल के छेद को बंद करने के लिए सीने में बड़ा चीरा लगाना पड़ता था। मरीज को कइ सप्ताह तक भर्ती रहना पड़ता था। कार्डियोलॉजी विभाग में बिना चीर फाड़ के अब तक 99 मरीजों के दिल के सुराख का ऑपरेशन हो चुका है। इसमें डेढ़ साल के बच्चे से लेकर 35 वर्षीय युवती शामिल है।
इस कार्यशाला के सह समन्वयक प्रो. गीता सुब्रम्यण्यम, डॉ. धर्मेन्द्र जैन (विभागाध्यक्ष कार्डियोलॉजी), डॉ. ओमशंकर, डॉ. विकास अग्रवाल, डॉ. सिद्धार्थ लखोटिया (हेड ऑफ डिपार्टमेंट सीटीवीएस), डॉ. पी रंजन (एनेस्थिसिया), डॉ. एसके माथुर (विभागाध्यक्ष कार्डियो एनेस्थिसिया) हैं।
सुराख को बंद करने में महज 20 मिनट का समय
सर सुन्दरलाल चिकित्सालय में 2011 में कैथ लैब की स्थापना कार्डियोलॉजी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. पीआर गुप्ता के प्रयास से हुआ। इसके लिए प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सेवा योजना से मिले 4.5 करोड़ रुपये से कैथ लैब स्थापित हुआ। 2016 में दिल के सुराख के इलाज के लिए पहली कार्यशाला आयोजित हुई। दो साल में 12 कार्यशालाओं में 99 मरीजों का ऑपरेशन हुआ। सर सुन्दरलाल चिकित्साल के कैथ लैब में दिल के इलाज की आधुनिक सुविधा उपलब्ध है। दिल के सुराख को बंद करने में महज 20 मिनट का समय लगता है। कुछ घंटे आराम करने के बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाती है।