लखनऊ। प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार ने ठोस कदम उठाया है। 75 जनपदों में स्वास्थ्य विभाग के अधीन कार्यरत 75 संयुक्त निदेशकों को जिले का प्रभारी नामित किया गया है। उक्त बातें प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कही।
शासन को सौपेंगे रिपोर्ट
उन्होंने कहा कि प्रभारी संयुक्त निदेशक प्रत्येक माह संबंधित जिले का तीन दिवसीय दौरा कर निर्धारित चेक लिस्ट के आधार पर निरीक्षण कर उसकी रिपोर्ट को शासन को उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि सभी अस्पतालों में सिटीजन चार्टर का डिस्प्ले सही ढंग से एवं उचित स्थान पर किया जाए ताकि किसी को कोई असुविधा न हों।
यह होगा काम
मंत्री ने बताया कि नामित संयुक्त निदेशक संबंधित जिले के चिकित्सालयों में ओपीडी में मरीजों की संख्या, अस्पताल में बेड़ों की संख्या, डॉक्टर्स की उपलब्धता, विशेषज्ञों की उपलब्धता, स्टाफ नर्सेज की उपलब्धता, फार्मासिस्टों की संख्या, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की उपलब्धता, विभिन्न प्रकार की दवाओं की उपलब्धता, चिकित्सालयों में साफ-सफाई की व्यवस्था, चिकित्सालयों में शौचालय की सफाई, ऑक्सीजन सिलिंडर की उपलब्धता, डॉक्टर्स, नर्स, फार्मासिस्ट, वार्ड बॉय, स्वीपर्स के ड्रेस कोड, शव वाहनों की उपलब्धता, ऑक्सीजन पाइप लाइन की स्थिति, एबीजी मशीन की उपलब्धता आदि का निरीक्षण करेंगे। साथ ही पैथोलॉजी में पैथोलोजिस्ट उपलब्ध हैं या नहीं इसको भी देखा जाएगा। वहीं अस्पताल परिसर में समय-समय पर एंटी लार्वा का छिड़काव कराये जाने के निर्देश दिए गए हैं।
यह भी कहा
उन्होंने कहा कि चिकित्सालयों में सीटी स्कैन, डिजिटल एक्स-रे, यूएसजी मशीन, डिजिटल एक्स-रे व एक्स-रे फिल्म की उपलब्धता के लिए भी जवाबदेह होंगे। समय पर पहुंचे एंबुलेंसश्री सिंह ने स्वास्थ्य भवन में आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों को ये निर्देश दिए। समीक्षा बैठक के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 108 और 102 एम्बुलेंस सर्विस की निरंतर मॉनिटरिंग की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि एम्बुलेंस निर्धारित समय पर पीड़ित परिवार तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि आम जनमानस को गुणवत्तापरक एवं सस्ती दर पर दवाएं आसानी से सुलभ हों, इसके लिए प्रदेश में संचालित सभी जन औषधि केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में दवाएं उपलब्ध कराई जाएं।