लखनऊ।इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) बिल, उपभोक्ता सुरक्षा कानून व भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) के एक्ट में संशोधन के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को काला दिवस के रूप में मनाते हुए लखनऊ सहित प्रदेशभर के डॉक्टर विरोध स्वरूप बांह पर काली पट्टी बांध कर किया। हालांकि इससे अस्पतालों का कामकाज प्रभावित नहीं होगा। आईएमए ने तीनों बिल को चिकित्सा जगत के लिए नुकसानदायक बताया है। आईएमए का कहना है कि एनएमसी बिल गरीब विरोधी है।
मेडिकल शिक्षा में निजीकरण को मिलेगा बढ़ावा
इससे मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीट पर ही सरकार का नियंत्रण रहेगा, जबकि 50 फीसदी सीटों पर निजी मेडिकल कॉलेज मनमाने तरीके से शुल्क निर्धारित कर सकेंगे। इसलिए एनएमसी बिल के पास होने पर मेडिकल शिक्षा में निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। आईएमए लखनऊ शाखा के अध्यक्ष डा. जीपी सिंह ने बताया कि आईएमए से जुड़े चिकित्सक आज काला फीता बांधकर विरोध कर रहे हैं।
छह महीने का ब्रिज कोर्स
आईएमए का प्रतिनिधिमण्डल लखनऊ के सांसद और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के प्रतिनिधि को ज्ञापन देने जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार प्राइवेट सेक्टर को बढ़ाने की बजाय नए नियम बनाकर मरीजों के साथ खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि एनएमसी बिल के प्रावधानों में है कि आयुष डॉक्टर भी एमबीबीएस के जैसे दवा लिख सकेंगे। इसके लिए आयुष डॉक्टरों को छह महीने का ब्रिज कोर्स करना होगा। डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि यह निर्णय एक तरीके से मरीजों से खिलवाड़ है।