लखनऊ। राज्य की 22 करोड़ से अधिक जनसंख्या की दिन रात, सेवा करने वाले राजकीय चिकित्सकों के संवर्ग को अपमान, प्रताडऩा और गुलामी का शिकार बना दिया गया है। कर्तव्यनिष्ठा, कठोर परिश्रम और जीवन भर में अर्जित योग्यता के लिये प्रोत्साहन देने के बजाये, संवर्ग के चिकित्सकों के मौलिक अधिकारों तक को दरकिनार कर दिया गया है, यहां तक किए सेवा में योगदान के समय प्रवृत्त, अधिवर्षता आयु पर सेवा निवृत्त होने जैसे मौलिक अधिकार और स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति के अधिकारों से भी राज्य सरकार ने उन्हें वंचित कर दिया है।
सरकार हमारी जायज मांग नहीं पूरी कर सकती है तो हम सबके इस्तीफे स्वीकार कर लें और हमें भी संविदा वाले चिकित्सकों की तरह ढाई लाख रुपये वेतन पर संविदा पर नौकरी दे दी जाये। उक्त बातें पीएमएस एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डॉ अशोक यादव पत्रवार्ता में कही।
महामंत्री डॉ. अमित सिंह ने यह कहा
महामंत्री डॉ. अमित सिंह ने कहा कि गैरतकनीकी आधारों पर आधारित नीतियों के चलते पटरी से उतरी चिकित्सा सेवाओं की दुव्र्यवस्था के लिए चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है जबकि विभाग में सरकार के ही तय किये गये मानक के सापेक्ष मात्र एक चौथाई मैन पावर है। सन अस्सी के दशक में सरकार द्वारा स्वयं निर्धारित किये गये जन स्वास्थ्य के मानक, आज सन 2018 तक भी प्राप्त नही किये जा सके हैं।
कई गुना काम के बोझ में दबे स्थाई ढांचे के राजकीय चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों को कुछ निहित स्वार्थों के चलते षड्यंत्र पूर्वक अव्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं कमी के लिए जिम्मेदार ठहराकर निशाना बनाया जा रहा है और दोषपूर्ण नीतियों के बनाने वालों को जवाबदेही से बचाया जा रहा है।
ये मौजूद थे
पत्रवार्ता में अध्यक्ष, महामंत्री के अलावा उपाध्यक्ष (मुख्यालय) डॉ. आशुतोष कुमार दूबे, उपाध्यक्ष (महिला) डॉ. निरूपमा सिंह, उपाध्यक्ष डॉ. भावतोष शंखधर, उपाध्यक्ष डॉ. विकासेन्दु अग्रवाल, अपर महासचिव, डॉ. अनिल कुमार त्रिपाठी, संगठन सचिव डॉ. सचिन वैश्य, जोनल सचिव, डॉ. जावेद अहमद खान, राज्य निर्वाचन अधिकारी, डॉ. राजीव बंसवाल, लखनऊ शाखा के अध्यक्ष, डॉ. डीके सिंह, लखनऊ शाखा के सचिव डॉ. अनूप बाजपेई मौजूद थे।